झारखंड की राजनीतिक स्थिति एक बार फिर गर्म होती नजर आ रही है। झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से निशाना साधते हुए भूमि घोटाले से संबंधित कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके सवाल सीधे तौर पर सरकार की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो राज्य की राजनीति में हड़कंप मचा सकते हैं।
सुजीत कुमार की गिरफ्तारी का मामला
मरांडी ने सबसे पहले वकील सुजीत कुमार की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि रांची पुलिस ने सुजीत कुमार को पिछले सात दिनों से बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में रखा है। उनका यह भी कहना है कि पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने पूछा कि यदि ऐसा नहीं है, तो रांची पुलिस की ओर से इस पर कोई खंडन क्यों नहीं आया? यह सवाल सीधा पुलिस की कार्यशैली और पारदर्शिता पर चोट करता है।
करोड़ों रुपये के लेन-देन की जांच
बाबूलाल मरांडी ने अंचल अधिकारियों के सुजीत कुमार को करोड़ों रुपये देने के मामले पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि अंचल अधिकारियों के पास इतनी बड़ी राशि आई कहाँ से? क्या यह आरोप सही नहीं है कि झारखंड, विशेषकर रांची में अरबों रुपये का भूमि घोटाला हो रहा है? यदि यह जानकारी सही है, तो यह सीधे तौर पर राज्य प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल खड़ा करता है।
अधिकारियों की गिरफ्तारी का सवाल
एक और महत्वपूर्ण सवाल के रूप में उन्होंने यह उठाया कि यदि अंचल अधिकारियों ने मामले को मैनेज करने के लिए करोड़ों रुपये दिए हैं, तो सरकार ने अब तक किसी भी अंचल अधिकारी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया? यह प्रश्न सरकार की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के प्रति उसकी संवेदनशीलता को उजागर करता है।
जांच प्रक्रिया पर संदेह
बाबूलाल मरांडी ने रांची पुलिस की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सात दिनों तक मामले को गोल-गोल घुमाने के बाद अब इसे सीआईडी या एसीबी को सौंपने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया एक नई रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद दोषी अधिकारियों को बचाना है। यह टिप्पणी झारखंड में कानून-व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाती है।
मुख्यमंत्री की खामोशी
अंत में, उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की खामोशी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आप मुख्यमंत्री हैं और गृह मंत्रालय आपके पास है, ऐसे में इतने बड़े घोटाले के मामले में आपकी चुप्पी को कैसे समझा जाए? यह सवाल राज्य की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना सकता है।
गौरतलब है कि बाबूलाल मरांडी द्वारा उठाए गए ये सवाल निश्चित रूप से झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल मचा सकते हैं। अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन सवालों का स्पष्ट उत्तर नहीं देते हैं, तो यह उनके और उनकी सरकार के लिए राजनीतिक दबाव का कारण बन सकता है। वहीं, यह मामले राज्य में आगामी चुनावों पर भी असर डाल सकते हैं, क्योंकि जनता का ध्यान इस दिशा में बढ़ता जा रहा है।
इस प्रकार, बाबूलाल मरांडी का यह बयान झारखंड की राजनीतिक स्थिति को और भी दिलचस्प बनाता है, जिसमें प्रशासनिक पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के मुद्दे मुख्य रूप से उठाए गए हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और सरकार के सामने क्या रणनीतियाँ आती हैं।