रांची: झारखंड में अवैध खनन और भ्रष्टाचार को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। भाजपा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर हेमंत सोरेन सरकार को आड़े हाथों लिया है। सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा कि राज्य में बालू तस्करी न सिर्फ पुलों की नींव को खोखला कर रही है, बल्कि झारखंड की विकास की संभावनाएं, युवाओं का भविष्य और सरकार की नींव भी खतरे में डाल रही है।
मरांडी ने सिल्ली में राढु नदी पर बने पुल का जिक्र करते हुए कहा कि यह पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है क्योंकि यह अवैध बालू खनन की भेंट चढ़ चुका है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पहले भी इस मामले को सरकार के संज्ञान में लाया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
“झारखंड की व्यवस्था हो रही है भीतर से खोखली”
मरांडी ने आगे लिखा, “जर्जर होता पुल दरअसल हमारे झारखंड की भीतर से खोखली होती व्यवस्था का प्रतीक है। खनन विभाग सिर्फ कागज़ों पर टास्क फोर्स का गठन कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है।”
उन्होंने राज्य की पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल उठाए और कहा कि सिल्ली से रांची के बीच पड़ने वाले थानों की पुलिस ईमानदारी से बालू ढोने वाले वाहनों से वसूली कर रही है, और यह पैसा सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया जा रहा है।
“अब चुप रहना मतलब लूट में भागीदार बनना”
मरांडी ने सरकार से मांग की कि वह झामुमो और कांग्रेस के दबाव में आने की बजाय ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन करे और झारखंड को लूटने से बचाए। उन्होंने चेताया कि अब चुप रहना इस लूट में भागीदार बनने के समान होगा।
इस बयान के बाद राज्य की राजनीति में एक बार फिर अवैध खनन और भ्रष्टाचार को लेकर बहस तेज हो गई है। देखना होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।