झारखंड सरकार की तानाशाही पर बाबूलाल मरांडी का हमला: JSSC-CGL पेपर लीक मामले में कुणाल प्रताप को CID नोटिस भेजने पर उठाए सवाल

KK Sagar
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रांची।
झारखंड के बहुचर्चित JSSC-CGL पेपर लीक प्रकरण को लेकर अब राजनीति तेज हो गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि जब यह मामला झारखंड हाईकोर्ट में लंबित है और मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, तब भी सरकार और उसकी एजेंसियाँ छात्रों की आवाज़ उठाने वाले युवाओं को डराने-धमकाने में जुटी हैं।

मरांडी ने आरोप लगाया कि पेपर लीक प्रकरण को उजागर करने वाले कुणाल प्रताप सिंह और प्रकाश पोद्दार को CID द्वारा नोटिस भेजा जाना यह दर्शाता है कि हेमंत सरकार अपनी नाकामी और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए CID का दुरुपयोग कर रही है तथा असली दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने पोस्ट में लिखा कि “हमें ज्ञात हुआ है कि 28 अभ्यर्थी जो नेपाल पेपर पढ़ने गए थे, उनमें से 10 लोग पास हुए हैं, लेकिन CID ने उनमें से सिर्फ 1 को आरोपी बनाया है, बाकी 9 लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।”

मरांडी ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार की जांच प्रक्रिया कई स्तरों पर संदिग्ध है। उन्होंने पूछा कि —

क्या नियामतपुर, रांची, हजारीबाग, पटना और मंत्री रेजिडेंसी जैसी जगहों की CCTV फुटेज की जांच की गई?

क्या अभ्यर्थियों के मोबाइल कॉल डंप की जांच हुई?

क्या नेपाल में जिन होटलों में उम्मीदवार ठहरे थे, वहाँ कोई फिजिकल जांच हुई?

भाजपा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जिन लोगों के बयानों के आधार पर अधिकारी संतोष मस्ताना को जेल भेजा गया, वे खुद परीक्षा में सफल अभ्यर्थी हैं और कोर्ट में इंटरवेनर भी बने हुए हैं — ऐसे में उनके बयानों की निष्पक्षता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

मरांडी ने झारखंड सरकार को चेतावनी दी कि “युवाओं की आवाज़ दबाने की कोशिशें इतिहास में कभी सफल नहीं हुईं। झारखंड के युवा अब जाग चुके हैं और अन्याय के ख़िलाफ़ एकजुट होकर लड़ने को तैयार हैं।”

साथ ही उन्होंने CID अधिकारियों से भी अपील की कि वे निष्पक्ष जांच करें, क्योंकि “समय और सरकारें बदलती हैं, और यदि भविष्य में हाईकोर्ट से CBI जांच के आदेश मिलते हैं, तो किसी अधिकारी के दामन पर दाग नहीं लगना चाहिए।”

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