जमीन घोटाले मामले में बाबूलाल मरांडी का मास्टर स्ट्रोक : राज्य विभाजन से अबतक के सारे ज़मीन हस्तांतरण, म्यूटेशन और क़ब्ज़ा करने-कराने के मामलों की जांच CBI से कराने की राज्य सरकार से मांग

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झारखंड की जनता को पता तो चले कि किन लोगों ने किन लोगों की मदद से झारखंड को “ज़मीन लूट महाखंड” बनाने का काम किया है – बाबूलाल मरांडी

मिरर मीडिया : झारखंड में जैसे जैसे ED की कार्रवाई आगे बढ़ रही है जमीन से जुड़े घोटाले के परत खुलते जा रहें हैं। IAS अधिकारीयों से लेकर दलाल, सफेदपोश भी गिरफ्त में आ चुके हैं। बता दें कि जमीन घोटाले की जांच की मांग लगातार उठाते हुए बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर मास्टर स्ट्रोक खेला है और अपने कार्यकाल से लेकर अबतक की जमीन म्यूटेशन के सभी मामले की CBI से जांच की मांग सूबे के हेमंत सोरेन से की है। यानी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री से अबतक के 23 वर्षो के विभिन्न पार्टी और सत्ता दल के मुख्यमंत्री के कार्यकाल की जांच की मांग की है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि
ज़मीन महाघोटाले में ED द्वारा किये जा रहे मनी लॉंड्रिंग की जॉंच आगे बढ़ने से हैरान करने वाली जानकारियाँ उजागर हो रही है।

यह बात भी सामने आने लगी है कि राँची ही नहीं राज्य के कई ज़िलों में ऐसे जमीन माफिया सक्रिय हैं जिन्होंने ज़मीन के कागजातों के रखरखाव में सिस्टम की कमजोरी का फ़ायदा उठाकर जालसाज़ी, हेराफेरी के बल पर सरकारी, ग़ैर सरकारी, गरीब, पिछड़े, दलित, आदिवासियों की ज़मीन लूट का कीर्तिमान क़ायम किया है।

सिस्टम ब्रेक कर जालसाज़ी में माहिर हर्षद मेहता, अब्दुल करीम तेलगी टाईप ऐसे जमीन माफियाओं ने दलाल, बिचौलिया, जालसाज़, गुंडे, प्रशासन,पुलिस और सत्ता संरक्षित नीचे से उपर तक बैठे कुछ बेईमान लोगों का सिंडिकेट बनाकर ये काम किया है।ताकि विरोध में उठने वाली हर आवाज़ को किसी भी स्तर पर दबा दिया जा सके।

ये जमीन माफिया इतने माहिर हैं कि जिस ज़मीन को हथियाना होता है वहाँ पहले हर स्तर पर नीचे से उपर तक गोटी सेट करते हैं। फिर ऐसा धावा बोलते हैं कि आम आदमी, गरीब आदिवासी उस ज़मीन को इन राक्षसों से बचाने के लिये पहले से “मैनेज सिस्टम” के सामने चाहकर भी कुछ न कर पाये।

राज्य में ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जहां ज़मीन क़ब्ज़े का विरोध करने वालों को ही इन माफियाओं ने पुलिस से मिलकर जेल भिजवाने का काम कर मैसेज दिया है कि जो भी विरोध करेगा वो तंग-तबाह हो जायेगा।

गिरीडीह में तो जमीन माफ़िया ने विरोध करने वाले एक व्यक्ति को धारा 107 में जेल भिजवाकर चार महीने जेल में रखवा दिया। कल्पना करिये, भला कौन दूसरा आदमी ऐसे जमीन माफियाओं के खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत करेगा या सोचेगा?

झारखंड में ज़मीन के इस महाघोटाला का पूरा पर्दाफ़ाश करना अकेले ED के बस की बात नहीं है।

मैं मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से फिर अनुरोध करता हूँ कि आप राज्य विभाजन यानी मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल से लेकर अबतक के सारे ज़मीन हस्तांतरण, म्यूटेशन और क़ब्ज़ा करने-कराने के मामलों की जॉंच सीबीआई से कराने का आदेश दीजिये। ताकी झारखंड की जनता को  पता तो चले कि किन लोगों ने किन लोगों की मदद से झारखंड को “ज़मीन लूट महाखंड” बनाने का काम किया है।

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