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बैकुंठ चतुर्दशी : मोक्ष का मार्ग और भगवान विष्णु-शिव की संयुक्त पूजा, पढ़े पूरी खबर…

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का अनूठा अवसर है, क्योंकि साल में सिर्फ यही एक दिन होता है जब इन दोनों देवताओं की एकसाथ पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जो इस दिन अपने भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

बैकुंठ चतुर्दशी से जुड़ी मान्यताएं और धार्मिक कथा

मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत कथा का पाठ करने से व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु काशी पहुंचे और गंगा स्नान के बाद भगवान शिव की पूजा करने का निश्चय किया। उन्होंने भगवान शिव को एक हजार स्वर्ण कमल पुष्प चढ़ाने का मन बनाया, लेकिन पूजा के दौरान कमल के फूलों की संख्या कम हो गई।

यहां पर भगवान शिव ने भगवान विष्णु की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक फूल छिपा दिया था। जब भगवान विष्णु को फूल नहीं मिला, तो उन्होंने अपनी एक आंख, जो कि ‘कमल नेत्र’ के नाम से प्रसिद्ध है, भगवान शिव को चढ़ाने का निश्चय किया। जैसे ही वे अपनी आंख चढ़ाने वाले थे, भगवान शिव प्रकट हो गए और उन्हें ऐसा करने से रोका। भगवान शिव भगवान विष्णु के प्रति प्रेम से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया। साथ ही भगवान शिव ने कहा कि जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करेगा, वह बैकुंठ धाम जाएगा। तभी से बैकुंठ चतुर्दशी को एक विशेष पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

दूसरी कथा: नारद जी और भगवान विष्णु की बातचीत

बैकुंठ चतुर्दशी की एक और प्रसिद्ध कथा है जिसमें नारद जी भगवान विष्णु से पूछते हैं कि सामान्य लोग, जो केवल उनकी भक्ति करते हैं, उन्हें मोक्ष कैसे प्राप्त होगा। नारद जी कहते हैं कि भगवान विष्णु के नाम का जाप करने वाले भक्तों को ही स्वर्ग का द्वार खुलेगा। भगवान विष्णु नारद जी से कहते हैं कि जो लोग कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को व्रत करेंगे और श्रद्धा भाव से पूजा करेंगे, उनके लिए स्वर्ग के द्वार हमेशा खुले रहेंगे। साथ ही भगवान विष्णु ने जय-विजय को आदेश दिया कि वे चतुर्दशी तिथि को स्वर्ग के द्वार खुले रखें। इसके बाद से बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत और पूजा अनिवार्य रूप से महत्वपूर्ण बन गई।

चतुर्दशी तिथि के समय-निर्देश:

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 14 नवम्बर 2024 को 09:43 बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 15 नवम्बर 2024 को 06:19 बजे

वैकुंठ चतुर्दशी निशिता काल: 23:39 से 00:32, नवम्बर 15

अवधि: 00 घंटे 53 मिनट

निष्कर्ष: बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा कर श्रद्धालु अपने जीवन के दुखों से मुक्ति और स्वर्ग की प्राप्ति के लिए यह व्रत करते हैं। इसके साथ ही यह दिन भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का भी एक अद्वितीय अवसर है।

KK Sagar
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