बांस क्लस्टर से बदलेगी बहरागोड़ा की तस्वीर : उपायुक्त ने दिया सहकारिता और महिला सशक्तिकरण पर जोर

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने आज बहरागोड़ा प्रखंड के जुगीशोल और मानुषमुड़िया में संचालित बंबू क्लस्टर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने बांस उत्पादों के निर्माण में लगे कारीगरों से बातचीत की और आजीविका बढ़ाने के लिए क्लस्टर को मजबूत करने के निर्देश दिए। जुगीशोल बंबू क्लस्टर, जो MSME योजना के तहत चलाया जा रहा है, इसमें वर्तमान में 70 से अधिक प्रशिक्षित कारीगर कार्यरत हैं। उपायुक्त ने इस पहल को और विस्तार देने, खासकर महिलाओं को इससे जोड़ने पर जोर दिया, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल सके।

उन्होंने बांस उत्पादों की गुणवत्ता, डिज़ाइन और फिनिशिंग पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने सुझाव दिया कि पारंपरिक उत्पादों जैसे सूप और टोकरी के साथ-साथ आधुनिक बाज़ार की मांग के अनुसार पेन स्टैंड, घरेलू सजावट के सामान और बांस के फर्नीचर जैसे फैंसी उत्पाद भी बनाए जाएं। उन्होंने उत्पादों को फैशनेबल और बाज़ार के अनुकूल बनाने के लिए नवाचार की आवश्यकता पर भी बल दिया। उपायुक्त ने जिला उद्यमी समन्वयक और डीपीएम जेएसएलपीएस को क्लस्टर को को-ऑपरेटिव मोड में संचालित करने के लिए तुरंत प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि यह मॉडल ग्रामीण महिलाओं के सामूहिक स्वामित्व, निर्णय लेने की क्षमता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।

मानुषमुड़िया बंबू क्लस्टर में महिला कारीगरों से संवाद
उपायुक्त ने झारक्राफ्ट के माध्यम से पहले संचालित मानुषमुड़िया बंबू क्लस्टर का भी निरीक्षण किया। उन्होंने स्थानीय महिला कारीगरों से उनके अनुभव और अपेक्षाओं के बारे में जानकारी ली, जिन्होंने यूनिट को फिर से शुरू करने की इच्छा व्यक्त की। उपायुक्त ने इसे को-ऑपरेटिव मोड में फिर से सक्रिय करने पर जोर दिया ताकि यह एक स्थायी और सहभागी मॉडल बन सके।

स्थानीय महिलाओं ने क्षेत्र में काजू की उपलब्धता को देखते हुए काजू प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की भी मांग की। उपायुक्त ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया और सुझाव दिया कि FPO (किसान उत्पादक संगठन) के माध्यम से इस दिशा में कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि इससे कृषि-आधारित उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलेगा और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होगा।

उपायुक्त ने दोहराया कि जिला प्रशासन की प्राथमिकता ग्रामीण आजीविका का सतत विकास, स्वरोजगार सृजन और महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि बांस आधारित उत्पाद, कृषि प्रसंस्करण इकाइयाँ और समूह-आधारित उद्यम इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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