बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने पहली बार जिलाधिकारियों (DM) की रैंकिंग जारी की है, जिसमें जिले की भूमि संबंधी योजनाओं और कार्यों के आधार पर डीएम के प्रदर्शन का आकलन किया गया है। इस रैंकिंग में जमुई की डीएम अभिलाषा शर्मा सहित कई जिलाधिकारियों का प्रदर्शन कमजोर रहा है, जबकि बांका के जिलाधिकारी अंशुल कुमार सबसे आगे रहे।
रैंकिंग के आधार पर जिलों का प्रदर्शन
इस रैंकिंग में बांका जिले को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ, जिसके डीएम अंशुल कुमार को 100 में से 56.80 अंक मिले। वहीं, शेखपुरा और सिवान जिले क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। शेखपुरा के डीएम आरिफ अहसान ने 51.33 अंक प्राप्त किए, जबकि सिवान के डीएम मुकुल कुमार गुप्ता को 42.68 अंक मिले।
वहीं, जमुई जिले की डीएम अभिलाषा शर्मा को 29.68 अंक मिले, जिससे उनका प्रदर्शन औसत से नीचे रहा। जमुई का स्थान इस रैंकिंग में काफी नीचे है, जो बताता है कि भूमि सुधार और राजस्व से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन में जमुई जिले को सुधार की आवश्यकता है।
अररिया सबसे फिसड्डी, पटना भी टॉप जिलों से दूर
इस रैंकिंग में अररिया के डीएम अनिल कुमार सबसे फिसड्डी साबित हुए। उन्हें केवल 20.9 अंक मिले हैं, जिससे अररिया जिले का स्थान आखिरी (38वां) रहा। अन्य खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में पटना, नवादा, पश्चिम चंपारण और सहरसा भी शामिल हैं। पटना के डीएम को केवल 26.92 अंक मिले, जो राज्य की राजधानी के लिए चिंता का विषय है।
रैंकिंग के मानदंड
जिलाधिकारियों के प्रदर्शन को आठ मानदंडों पर परखा गया है। इनमें दाखिल-खारिज मामलों का निपटारा, परिमार्जन प्लस योजना, अभियान बसेरा-2, आधार सीडिंग और एडीएम कोर्ट की निगरानी शामिल हैं। इन योजनाओं और कार्यों की मॉनिटरिंग के आधार पर ही डीएम की रैंकिंग तय की गई है।
30% से कम अंक पाने वाले जिलाधिकारी
जिन जिलों के डीएम को 30% या उससे कम अंक मिले, उनमें जमुई की डीएम अभिलाषा शर्मा के अलावा अरवल के डीएम कुमार गौरव (30.48 अंक), भागलपुर के नवल किशोर चौधरी (30.21 अंक), लखीसराय के मिथिलेश मिश्रा (29.44 अंक) और गया के त्यागराजन एसएम (29.29 अंक) शामिल हैं।
वार्षिक मूल्यांकन में रैंकिंग का असर
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने कहा कि सितंबर से इस रैंकिंग प्रणाली की शुरुआत की गई है और अब हर महीने डीएम के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। इस रैंकिंग को डीएम के वार्षिक मूल्यांकन प्रतिवेदन में भी शामिल किया जाएगा, जिससे उनके कार्य प्रदर्शन पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
सुधार की जरूरत
इस रैंकिंग ने यह स्पष्ट किया है कि बिहार के कई जिलों में भूमि संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार की आवश्यकता है। विशेषकर अररिया, जमुई और पटना जैसे जिलों को अपने प्रदर्शन में ठोस सुधार के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि इन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर पहुंच सके।