तृणमूल कांग्रेस ने बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से गुरुवार को निलंबित कर दिया। यह निर्णय उस विवादास्पद बयान के बाद लिया गया जिसमें कबीर ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर मस्जिद निर्माण की घोषणा की थी और कहा था कि वह 6 दिसंबर को राजभवन की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए शिलान्यास करेंगे।
टीएमसी की अनुशासन समिति ने कहा कि कबीर बार-बार पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। पार्टी का दावा है कि उन्हें तीन बार चेतावनी दी गई, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने विवादित रुख में कोई बदलाव नहीं किया। निलंबन के साथ ही टीएमसी ने स्पष्ट कर दिया कि अब उनका पार्टी से कोई संबंध नहीं है।
कबीर के बयान से बढ़ा सियासी ताप
बुधवार को कबीर ने मीडिया से कहा था कि छह दिसंबर को मस्जिद का शिलान्यास लाखों लोगों की मौजूदगी में किया जाएगा और राज्य प्रशासन द्वारा रोकने की किसी भी कोशिश का उग्र विरोध होगा। उन्होंने दावा किया कि 2,000 स्वयंसेवक कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौजूद रहेंगे और उनका कार्यक्रम “संवैधानिक अधिकारों के तहत” आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा संभावित तनाव को लेकर राज्य सरकार को लिखे गए पत्र को “राजनीतिक”, “निराधार” और “संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध” बताया। कबीर ने कहा —
➡ “वह निर्वाचित व्यक्ति नहीं हैं… कानून-व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। प्रशासन हमें रोकने की कोशिश करेगा तो रेजिनगर से बेहरामपुर तक राजमार्ग अवरुद्ध कर दिया जाएगा। मेरा संदेश साफ़ है — आग से मत खेलो।”
प्रशासन ने अभी अनुमति नहीं दी
मुर्शिदाबाद जिला प्रशासन ने फिलहाल शिलान्यास कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार किया है और कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि स्थिति संवेदनशील होने के कारण कड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ तेज
🔹 सिद्दीकुल्लाह चौधरी (टीएमसी मंत्री / जमीयत उलेमा-ए-हिंद नेता)
“बाबरी मस्जिद के नाम पर मस्जिद स्थापित करने से मुस्लिमों के मुद्दे हल नहीं होंगे।”
🔹 केया घोष (भाजपा नेता)
“तृणमूल चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण चाहती है। तनाव बढ़ने देना उनकी राजनीतिक रणनीति है।”
कबीर ने अपने राजनीतिक करियर में कांग्रेस, टीएमसी, भाजपा और फिर वापस टीएमसी का दामन थामा है, इसलिए विपक्ष उन्हें “सियासी अवसरवादी” कहकर निशाना बना रहा है।
6 दिसंबर का राजनीतिक महत्व
1992 में इसी तारीख को बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी।
टीएमसी इस दिन को “संघर्ष दिवस” के रूप में मनाती है, जबकि राज्य सरकार ने इस वर्ष 6 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, जिससे इस विवाद को और राजनीतिक रंग मिलता दिखाई दे रहा है।

