सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड/देखना अपराध

KK Sagar
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सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना या देखना POCSO अधिनियम के तहत अपराध है। यह फैसला मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध याचिका पर आधारित है।

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध याचिका पर फैसला सुनाया जिसके तहत :

– चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द को बदलने का सुझाव दिया गया।
-‘बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री’ शब्द का उपयोग करने की सलाह।
– सभी अदालतों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द का उपयोग न करने का निर्देश।
– केंद्र सरकार को अध्यादेश जारी करने का सुझाव।

फैसले पर प्रतिक्रिया:

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला सुनाया। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा, “हमने दोषियों के मनों की स्थिति की धारणाओं पर सभी प्रासंगिक प्रावधानों को समझाने के लिए अपने तरीके से प्रयास किया है और दिशानिर्देश भी निर्धारित किए हैं।”

विशेषज्ञों की राय:

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला बाल यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम है। इससे ऐसे अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी।

संबंधित अधिनियम:

– POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) अधिनियम, 2012
– सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

यह फैसला बाल यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम है और इससे ऐसे अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी।

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