बड़ी खबर – झारखंड की राजनीति और मौजूदा हेमंत सरकार के लिए अगले 48 घंटे बेहद अहम् : CM की सदस्यता पर कभी भी राज्यपाल दे सकते है फैसला

Uday Kumar Pandey
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लाभ के पद के मामले में EC ने राज्यपाल को भेजा पत्र

मिरर मीडिया : झारखंड में मौजूदा सियासत से जुड़ी एक बड़ी खबर आ रही है। बता दें कि लाभ के पद के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर चुनाव आयोग ने अपनी राय राजभवन भेज दी है। लिहाजा अब राज्यपाल ही इस पर आखिरी फैसला लेंगे। अभी राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली में हैं। वो 2:30 बजे तक रांची पहुंचेंगे। बताया जा रहा है कि वो 3 बजे तक इसपर फैसला ले सकते हैं। फिलहाल इसे लेकर राजभवन में अफसरों की मीटिंग चल रही है। वहीं राज्य में अगले 48 घंटे में राजनीतिक उथल-पुथल का अंदाजा लगाया जा रहा है।

चुनाव आयोग के इस फैसले का असर राज्य सरकार की सेहत पर पड़ना तय माना जा रहा है। सत्ताधारी यूपीए सभी विकल्पों पर विचार कर उस आधार पर स्ट्रेटेजी बना रहा है। यूपीए खेमे में हेमंत के साथ और हेमंत के सीएम नहीं रहने की स्थितियों को लेकर तैयारी की जा रही हैं।
दरअसल यूपीए चुनाव आयोग के फैसले के दोनों पक्षों को लेकर रेडी मोड में हैं। अगर फैसले से सोरेन की राजनीतिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा तो सत्तापक्ष कम्फ़र्टेबल मोड में रहेगा। वहीं दूसरी तरफ झामुमो इस बात को लेकर बेचैन है कि अगर कमीशन का फैसला सोरेन के खिलाफ गया तो ऐसी स्थिति में उनके विकल्प के रूप में किसे चुना जा सकता है। हालांकि इसको लेकर पार्टी और यूपीए प्लेटफार्म पर अनौपचारिक रूप से तीन नामों की चर्चा हुई है।

उसमें सबसे पहला नाम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है वहीं दूसरे और तीसरे नम्बर पर जोबा मांझी और चम्पई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं। वहीं कांग्रेस ने भी इन नामों पर अभी तक नहीं किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है।वही दूसरी तरफ राज्यपाल रमेश बैस अभी दिल्ली में हैं ऐसा अंदेशा है कि उनके रांची वापस लौटने के बाद ही इसपर फैसला होगा। इसको लेकर सत्ताधारी झामुमो और कांग्रेस में भी खलबली मची हुई है। राज्यपाल के वापस लौटते ही राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ने की उम्मीद है।

वही वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए सत्ताधारी यूपीए के सभी विधायकों पर राज्य सरकार की पैनी नजर है। सभी विधायकों की एक्टिविटी पर पूरी नजर रखी जा रही है। यहां तक की राजधानी के अलावा उनके क्षेत्र में भी सरकारी मशीनरी की मदद से उन विधायकों पर नजर रखी जा रही है।

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मैं उदय कुमार पाण्डेय, मिरर मीडिया के न्यूज डेस्क पर कार्यरत हूँ।
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