डिजिटल डेस्क/कोलकाता : पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की सटीकता को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने चुनाव आयोग को जानकारी दी है कि राज्य में 34 लाख ऐसे मृत नागरिक हैं जिनके पास आधार कार्ड थे। यूआईडीएआई ने ये आंकड़े जनवरी 2009 से अब तक के उपलब्ध कराए हैं। इसके अलावा, 13 लाख ऐसे मृत मतदाता भी चिन्हित किए गए हैं जिनके आधार कार्ड नहीं बने थे।
ये महत्वपूर्ण जानकारियां बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल और यूआईडीएआई के अधिकारियों के बीच हाल ही में हुई बैठक में साझा की गईं। चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के सीईओ को निर्देश दिया है कि वे मतदाता आंकड़ों के सत्यापन और किसी भी विसंगति की पहचान के लिए यूआईडीएआई के साथ समन्वय स्थापित करें।
सीईओ कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि यह आंकड़ा फर्जी, मृत और अनुपस्थित मतदाताओं, साथ ही सूची में दोहराए गए नामों को हटाने में मदद करेगा। 9 दिसंबर को प्रारूप मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद, यदि किसी आवेदक का नाम आधार डेटाबेस से हटाए गए नाम से मेल खाता है, तो चुनाव पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) सत्यापन के लिए आवेदक को बुला सकता है। चुनाव अधिकारी बैंक खातों से भी जानकारी एकत्र कर रहे हैं, जहां वर्षों से केवाईसी अपडेट नहीं हुआ है, जिससे मृत लोगों की पहचान में मदद मिल रही है।
हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इन आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए इसे ‘पिछले दरवाजे से वैध मतदाताओं के नाम काटने की साजिश’ बताया है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) संबंधी मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची के घर भी गणना प्रपत्र पहुंचने की खबर सामने आई है।

