दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संदीप तिवारी की मुश्किलें बढ़ने वाली है। प्राचार्य डॉ. संदीप तिवारी पर लगे गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोप प्रथम दृष्टया सत्य पाए गए हैं। जिसके बाद अब इस मामले में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां एक्शन मोड में आ चुके हैं। राज्यपाल ने इस मामले में प्राचार्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने को मंजूरी दे दी है।

विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विभाग ने राज्यपाल के आदेश से प्राचार्य तिवारी के खिलाफ बिहार सरकारी सेवक वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियमावली 2005 के नियम 17 के अंतर्गत विभागीय कार्रवाई संचालित करने की स्वीकृति प्रदान की है। मामले के आरोपित प्राचार्य डा. संदीप तिवारी अपना बचाव जांच संचालन पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सकेंगे। इससे उनके प्राचार्य के रूप में करियर पर बट्टा लग सकता और कार्रवाई भी हो सकती है।
प्राचार्य डॉ संदीप पर क्या हैं आरोप?
जांच में कॉलेज के विकास फंड की राशि में भारी अनियमितता पायी गई। इसके साथ ही अधिवक्ताओं के चयन के लिए न तो चयन समिति से पैनल बनाया गया और न ही विभाग से अनुमति ली गई। अपने चहेते अधिवक्ताओं को मनमाना भुगतान किया गया, जो रोकड़ बही से प्रमाणित हो गया। इतना ही नहीं टेंट हाउस के भुगतान में भी गोलमाल किया गया। पप्पू टेंट हाउस को कार्यादेश अलग राशि के लिए दिया गया था, जो बिहार वित्तीय नियमावली की अनदेखी है। इसके अलावा, पप्पू टेंट हाउस का देयक 27,640 रुपये, विश्वकर्मा टेंट हाउस का 33 हजार रुपये और अंशु इंटरप्राइजेज का 44 हजार देना था, लेकिन सारा भुगतान पप्पू टेंट हाउस को कर दिया गया।
विकास मद के भारी दुरुपयोग का आरोप
प्राचार्य के खिलाफ भेजे गए परिवादों की जांच करने गई टीम के साथ प्राचार्य ने सहयोग नहीं किया था। श्री ओम सिक्यूरिटी के भुगतान में भी अनियमितता पाई गई थी। उसे पांच लाख 71 हजार 101 एवं विकास मद से तीन लाख 77 हजार के भुगतान का साक्ष्य पाया गया था। एक ही सेवा प्रदाता को दो अलग-अलग मदों से भुगतना किया जाना, राशि के भारी गोलमाल का प्रमाण मिला था। इतना ही नहीं सुरक्षा गार्ड, माली एवं सुइपर की दैनिक उपस्थिति पंजी भी जांच दल को उपलब्ध नहीं कराई गई थी। विकास मद का भी भारी दुरुपयोग हुआ था। दो लाख 35 हजार का सोफा, 50 हजार का मोबाइल और दो एसी खरीदने का भी साक्ष्य मिले थे। इसमें भी बिहार वित्तीय नियमावली के नियम नौ का उल्लंघन करते हुए अधिक राशि खर्च की गई थी।
डीएम ने भी की थी शिकायत
जिलाधिकारी ने भी प्राचार्य के खिलाफ विभाग को शिकायत भेजी थी, जिसमें शिक्षकों और कर्मियों को प्रताड़ित करने और उनके साथ अभद्र व्यवहार करने के गंभीर आरोप थे। एक ही वित्तीय वर्ष में दो बार सोलर स्ट्रीट लाइट पर खर्च भी जांच के घेरे में है।

