Bihar: ‘बिहार को बदनाम ना करें…’, SIR मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

Neelam
By Neelam
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विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) पर सुनवाई के दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत ने बिहार को लेकर बड़ा कॉमेंट किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SIR वोटर फ्रेंडली है और यह वोटरों के खिलाफ नहीं है. कोर्ट ने बिहार को बदनाम करने पर भी नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रशासनिक सेवा में यानी देश में सबसे ज्यादा आईएएस, आईपीएस, आईआरएस इत्यादि विभागों में बिहार मूल के लोगों का भी दबदबा है। ऐसे में बिहार को बदनाम ना करें। 

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में मतदाताओं से मांगे गए दस्तावेजों की संख्या 11 है, जबकि मतदाता सूची के सारांश पुनरीक्षण में 7 दस्तावेजों पर विचार किया जाता था। यह दर्शाता है कि यह मतदाता हितैषी है। हम आपकी दलीलों को समझते हैं कि आधार को स्वीकार न करना ठीक नहीं है, लेकिन दस्तावेजों की अधिक संख्या वास्तव में समावेशात्मक है।

पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज बहुत कम लोगों के पास

दरअसल SIR को लेकर आज दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई चल रही थी। इस दौरान अभिषेक मनु सिंघवी इस मामले को लेकर अलग-अलग दलीलें दे रहे थे। तभी जस्टिस बागची ने अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनका आधार बहिष्कार का तर्क समझ में आता है, लेकिन अन्य दस्तावेजों की संख्या का मुद्दा वास्तव में मतदाताओं के अनुकूल है और उनके खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेजों की संख्या पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने मतदाताओं के पास पासपोर्ट की उपलब्धता का उदाहरण दिया। सिंघवी ने कहा कि बिहार में यह केवल एक से दो प्रतिशत है। राज्य में स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘अगर हम बिहार की आबादी के पास दस्तावेजों की उपलब्धता देखें, तो पता चलता है कि कवरेज बहुत कम है।

एसआईआर पर मचा है बवाल

एसआईआर मामले पर इन दिनों देश में बवाल मचा हुआ है। विपक्षी नेताओं द्वारा भाजपा पर वोट चोरी का आरोप लगाया जा रहा है। बीते दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर इसे लेकर निशाना साधा था और प्रजेंटेशन के जरिए राहुल गांधी ने कहा कि देश में वोट की चोरी की जा रही है। इस मामले को लेकर बीते दिनों विपक्षी सांसदों द्वारा संसद भवन से लेकर चुनाव आयोग कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला गया। इस दौरान विपक्षी सांसदों के इस प्रोटेस्ट मार्च को पार्लियामेंट के बाहर ही रोक दिया गया। 

विपक्षी दलों ने लगाया ‘वोट चोरी’ का आरोप

बता दें, बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन संशोधन (SIR) के तहत मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव का मामला गरमाया हुआ है। चुनाव आयोग ने 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाने का प्रस्ताव रखा, जिसमें 22 लाख मृत, 36 लाख स्थानांतरित, और 7 लाख दोहरे पंजीकरण वाले मतदाता शामिल हैं। विपक्षी दलों ने इसे ‘वोट चोरी’ और बीजेपी के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया है।

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