बिहार की नीतीश सरकार पर विपक्ष बढ़ते अपराध को लेकर अक्सर हमलावर रहता है। हालांकि, एनडीए सरकार का दावा है कि बिहार “जंगलराज” से मुक्त हो चुका है। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भी ये मुद्दा हावी रहा। इस बीच, बिहार सरकार ने वार्षिक रिपोर्ट जारी करते हुए यह बताया है कि बिहार में अपराध घटा है।

पिछले साल की तुलना में अपराध से जुड़े मामलों में कमी
बिहार के गृह विभाग ने दावा किया कि राज्य में कानून का राज स्थापित है। पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष आपराधिक वारदातों खासकर संगीन अपराध से जुड़े मामलों में कमी दर्ज की गई है। यह जानकारी गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी, डीजीपी विनय कुमार, सचिव प्रणव कुमार, गृह (विशेष) विभाग की विशेष सचिव केएस अनुपम समेत अन्य ने दी।
दंगा से जुड़े मामलों में 17.97% की गिरावट
गृह विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक हत्या के मामलों में 7.72 %, डकैती के मामलों में 24.87% और दंगा से जुड़े मामलों में 17.97% की गिरावट आई है। वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर भी राष्ट्रीय औसत से लगभग आधी यानी 37.50 रही है। अधिकारियों ने राज्यभर की आपराधिक स्थिति का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया।
25 कुख्यात अपराधियों के खिलाफ कड़े आदेश जारी
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने बताया कि इस वर्ष 25 कुख्यात अपराधियों के खिलाफ निरुद्ध आदेश पारित किए गए, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की सुसंगत धाराओं के तहत अपराध से अर्जित संपत्ति के मामलों में 1,419 अपराधियों को चिह्नित किया गया, जिनमें से 405 के खिलाफ प्रस्ताव न्यायालय को भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि इनमें 70 अपराधियों की संपत्ति जब्ती की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है, जबकि तीन मामलों में संपत्ति कुर्क करने का आदेश पारित हो चुका है।
आपराधिक गतिविधियों पर सख्ती
अधिकारियों ने बताया कि जनवरी से नवंबर के बीच 12 लाख 50 हजार लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की गई है और 3 लाख 81 हजार 823 लोगों से मुचलके भरवाए गए हैं। इस दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में अवैध हथियार और गोला-बारूद बरामद किया है, जिसमें 4528 हथियार, 28,414 कारतूस और 64 मिनी गन फैक्ट्रियां शामिल हैं। इसके अलावा, हर्ष फायरिंग जैसी घटनाओं पर स्थायी आदेश लागू होने के बाद ऐसी वारदातों में भारी कमी आई है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा मजबूत हुई है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध दर में कमी
महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर बिहार में राष्ट्रीय औसत से आधी है। एनसीआरबी के 2023 में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ राष्ट्रीय औसत 66.20 फीसदी है। जबकि बिहार का औसत 37.50 फीसदी है। इसी तरह एससी-एसटी के खिलाफ अपराध की दर 8.50 प्रतिशत है। वहीं राष्ट्रीय औसत 12.40 फीसदी है। इसमें आरोप-पत्र दाखिल करने की दर 87.90 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि थाना स्तर पर कॉलेज या स्कूल जाने वाली छात्राओं की सुरक्षा के लिए अभय ब्रिगेड का गठन किया गया है। इसमें 2 महिला सिपाही समेत 3 सिपाहियों की टीम बनाई गई है। महिला सिपाहियों के लिए 2 हजार स्कूटी खरीदने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 855 थानों में महिला हेल्प डेस्क स्थापित किया गया है, जिनमें ट्रांसजेंडरों को भी सहायता की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

