बिहार में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां उफन आई है। गंगा से लेकर कोसी तक कई छोटी-बड़ी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। गंगा, बागमती, कोसी, सोन, पुनपुन के साथ कई नदियों का जलस्तर बढ़ता जा रहा। गंगा और सोन नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि के बाद पटना जिले के दियारा क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। दानापुर, मनेर, बख्तियारपुर, दनियावां, फतुहा, खुशरूपुर, मोकामा, बाढ़, पटना सिटी, दीघा और राजधानी पटना के निचले इलाकों में पानी फैलने से जनजीवन प्रभावित हो गया है।

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, पटना में गंगा नदी का जलस्तर 51.10 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से ऊपर है। वहीं, मनेर में सोन नदी 52.99 मीटर पर बह रही है। मनेर के निचले और दियारा इलाकों के दर्जनभर गांवों की सड़कें पानी में डूब चुकी हैं, जबकि डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घरों तक पहुंच गया है।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय परिसर में भरा पाना
बिहार के भागलपुर में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले ग्रामीण और दियारा क्षेत्रों को प्रभावित करने के बाद अब गंगा का पानी शहरी क्षेत्रों में घुस चुका है। जिले में स्थित तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के परिसर में पानी भर गया है। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन, सीनेट हॉल और कुलपति के आवास में भी पानी घुस चुका है। विश्वविद्यालय के पास स्थित प्रोफेसर कॉलोनी अब पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी है।
छपरा से सोनपुर तक मंडरा रहा बाढ़ का खतरा
इसके अलावा बक्सर में गंगा का जलस्तर 60.85 मीटर पर है और खतरे के निशान के करीब है। छपरा से सोनपुर तक गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे सदर प्रखंड के दियारा क्षेत्र की तीन पंचायतों के दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं। इन गांवों का मुख्य सड़कों से संपर्क पूरी तरह भंग हो गया है और कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं।
कोसी नदी भी उफान पर
गंगा के अलावा कोसी नदी भी उफान पर है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष दीघा से जारी रिपोर्ट की माने तो, कोसी बराज से लगभग 1.66 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। लगातार हो रही बारिश और नेपाल की पहाड़ियों से आ रहे पानी के कारण नदी का प्रवाह तेज हो गया है। साथ ही कोसी का जलस्तर खगड़िया के बालतारा और कटिहार के कुर्सेला में खतरे के निशान को पार कर गया है।