बिहार में सियासी माहौल हर दिन के साथ गर्माता जा रहा है। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे पर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी मांगों से राजनीतिक हलचल तेज कर दी। मांझी ने कहा है कि उन्हें कम से कम 20 सीटें दी जानी चाहिए। मांझी ने स्पष्ट कहा कि उनकी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।

मांझी ने स्पष्ट कहा कि उनकी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, आम लोगों की मांग भी है और मैं भी कहता हूं कि हमारी पार्टी को मान्यता दिलाने के लिए एनडीए के मन में अगर हमारे लिए सहानुभूति है तो हमें कम से कम 20 सीटें बिहार विधानसभा चुनाव में दें।
एनडीए के भीतर तेज होगी खींचतान?
उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के भीतर खींचतान तेज हो सकती है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मांझी के इस बयान के बाद बीजेपी और जेडीयू के सामने सीट शेयरिंग को लेकर नई चुनौती खड़ी हो गई है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए, मांझी की इस मांग पर कितना गंभीर रुख अपनाता है।
कैसा होगा एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मुला?
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी? इसका फैसला अब तक नहीं लिया गया है। सूत्रों की मानें तो एनडीए के अंदर इस बार सीटों का बंटवारा इस तरह से हो रहा है कि जनता दल यूनाईटेड एक तरफ है और दूसरी तरफ भाजपा व बाकी दल। एनडीए में बिहार विधानसभा की 243 में से 100 सीटें जदयू को मिल रही हैं। जदयू इसे बढ़ाने की कोशिश में है, लेकिन भाजपा उसे इतने पर राजी कराने की कोशिश में है। भाजपा के कोटे में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा है। भाजपा को 143 सीटों में से अपने पास 100+ रखकर बाकी को बांटना है। वहीं चिराग पासवान 40 तक सीटें चाह रहे हैं, लेकिन उन्हें 20 से अधिक सीटें नहीं देने की राय बनी हुई है। वहीं राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख व सांसद उपेंद्र कुशवाहा 10 सीटों की मांग कर रहे हैं। भाजपा उनके लिए एक रास्ता तलाश रही है ताकि विधानसभा के सीट बंटवारे में उन्हें संतुष्ट किया जा सके।