बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को मतदान होने हैं। पहले फेज में 121 सीटों के लिए नामांकन खत्म हो चुका है। जिसके बाद नामांकन पत्रों की जांच और स्क्रूटनी चल रही है, जिसमें कई प्रत्याशियों के नामांकन रद्द भी हुए हैं। वहीं, दूसरे फेज में 122 सीटों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर है। एक तरफ चुनावी प्रकिया आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ महागबंधन की रार थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार विधानसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ने का फैसला कर लिया है।

जेएमएम ने किया अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान
जेएमएम बिहार विधानसभा तुनाव में अकेले उतरेगी। पार्टी कुल 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली है। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पार्टी बिहार में छह सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। भट्टाचार्य ने कहा, पार्टी ने बिहार चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है। वह छह विधानसभा सीट चकाई, धमदाहा, कटोरिया (सुरक्षित), मनिहारी (सुरक्षित), जमुई और पीरपैंती (सुरक्षित) पर चुनाव लड़ेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी बिहार में अधिक सीट पर चुनाव लड़ने पर विचार करेगी, भट्टाचार्य ने कहा, हम इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं, सीटों की संख्या बढ़कर 10 हो सकती है।
सकारात्मक जवाब नहीं मिला- मनोज पांडे
बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो के अकेले छह सीटों पर चुनाव लड़ने पर झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा, हर पहलू पर बातचीत चल रही थी, लेकिन जब हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला और हमारी मांगी गई सीटों की संख्या भी नहीं दी गई। एक राजनीतिक दल के पास क्या विकल्प बचते हैं? इसलिए, हम पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे।
महागठबंधन को खामियाजा भुगतने की धमकी
मनोज पांडे ने कहा कि हमें महागठबंधन में कम आंका गया है। जबकि पूरे देश ने हमारे नेता और हमारी पार्टी के करिश्मे को देखा है। हमने कैसे फासीवादी ताकतों को झारखंड में चुनाव हराया था। उन्होंने कहा कि बिहार के सीमावर्ती इलाकों में हमारी पार्टी का अच्छा-खासा दबदबा है। अगर हम एकजुट रहते, तो भारत गठबंधन और भी प्रभावशाली प्रदर्शन करता, लेकिन हमें नजरअंदाज कर दिया गया। इसलिए, महागठबंधन को इसके परिणाम भुगतने होंगे।

