
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य की सियासी हलचल तेज हो चुकी है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल मैदान में उतर चुके हैं और रणनीतियां बनाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं. चुनाव में अभी छह महीने से अधिक का समय बचा है, लेकिन सियासी दलों की सक्रियता से यह साफ हो गया है कि मुकाबला कांटे का होने वाला है।
इसी कड़ी में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव मंगलवार को दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में तेजस्वी यादव की मुलाकात कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से होनी तय है। यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि इसमें आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन की रणनीति पर चर्चा होगी।
बैठक में सीट शेयरिंग पर फोकस
जानकारी के मुताबिक, इस बैठक का मुख्य एजेंडा सीटों के बंटवारे (सीट शेयरिंग) को लेकर है। बिहार में महागठबंधन में शामिल दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही है, लेकिन अब इसे अंतिम रूप देने की कोशिश की जा रही है। तेजस्वी यादव इस बैठक में राजद (RJD) की तरफ से अपना पक्ष मजबूत तरीके से रखेंगे और यह तय करने की कोशिश करेंगे कि गठबंधन में राजद की भूमिका निर्णायक बनी रहे।
महागठबंधन में तालमेल की चुनौती
महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, वाम दल और कुछ छोटे दल शामिल हैं। ऐसे में सभी को साथ लेकर चलना और संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। पिछली बार के अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार कोशिश की जा रही है कि समय रहते सीटों का बंटवारा हो जाए ताकि प्रचार में देरी न हो और उम्मीदवारों को तैयारी का पर्याप्त समय मिल सके।
राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस बैठक पर
इस बैठक को राजनीतिक विश्लेषक भी काफी अहम मान रहे हैं। उनका मानना है कि यह बैठक बिहार की आगामी सियासी तस्वीर को काफी हद तक स्पष्ट कर सकती है। अगर महागठबंधन में समय रहते सीटों का फैसला हो जाता है तो यह एनडीए के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
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