विधानसभा चुनाव के बाद बिहार की सियासत में अब राज्यसभा की खाली होने वाली सीटों को लेकर बिसात बिछनी शुरू हो गई है। चुनाव में अभी करीब तीन महीने का समय बाकी हो, लेकिन पांच सीटों पर होने वाले इस चुनाव ने राजनीतिक दलों की रणनीति को सक्रिय कर दिया है।

अप्रैल में राज्यसभा की पांच सीटें खाली होनी हैं और इन्हीं सीटों को लेकर एनडीए खेमे में रणनीति तेज हो गई है। सत्ता पक्ष की कोशिश है कि एक भी सीट महागठबंधन के खाते में न जाए और सभी पांचों सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार जीत दर्ज करें। इस बीच दो नामों की चर्चा तेज है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने नितिन नवीन का राज्यसभा जाना लगभग तय माना जा रहा है। तो वहीं, भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार पवन सिंह भी इस रेस में शामिल हैं।
नितिन नवीन को केंद्र की राजनीति में स्थापित करने की तैयारी
बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा चुके नितिन नवीन को लेकर पार्टी के भीतर तस्वीर काफी हद तक साफ मानी जा रही है। कार्यकारी अध्यक्ष बनने के दो दिन बाद उन्होंने बिहार कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, वे जल्द विधायकी से भी इस्तीफा देकर केंद्र की राजनीति में कदम रख सकते हैं। बीजेपी में यह परंपरा रही है कि राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष पद पर वही नेता होते हैं, जो संसद का हिस्सा हों। ऐसे में नितिन नवीन को पहले राज्यसभा भेजकर केंद्र की राजनीति में स्थापित करने की तैयारी मानी जा रही है।
पवन सिंह का नाम भी चर्चा में
वहीं भोजपुरी स्टार पवन सिंहको लेकर भी अटकलें तेज हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी से रिश्तों में आई तल्खी के बाद वे विधानसभा चुनाव 2025 से पहले पार्टी में शामिल हुए और जोरदार प्रचार किया। बीजेपी के एक वरिष्ठ सांसद मनोज तिवारी का चुनाव से पहले दिया गया बयान- ‘पवन सिंह के लिए सब कुछ तय है’, इन अटकलों को और हवा देता है। हालांकि पार्टी या पवन सिंह की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
कौन-कौन हो रहे हैं रिटायर?
9 अप्रैल 2026 को बिहार से राज्यसभा के जिन 5 दिग्गजों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें राजद के प्रेम चंद गुप्ता और अमरेंद्र धारी सिंह (एडी सिंह), जदयू के हरिवंश नारायण सिंह और केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं। इन सभी की सीटों पर नए सिरे से चुनाव होगा।
मजबूत स्थिति में भाजपा-जदयू
विधानसभा के मौजूदा अंकगणित पर नजर डालें तो एनडीए की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए करीब 41 विधायकों का समर्थन जरूरी है। बिहार विधानसभा में संख्याबल को देखें तो बीजेपी और जदयू अपनी-अपनी सीटें बचा लेगी। जदयू के पास 85 विधायक हैं, जिससे वह अपनी दोनों सीटें सुरक्षित रख सकती है। वहीं बीजेपी के पास 89 विधायक हैं और इस ताकत के दम पर वह दो सीटों पर अपने प्रत्याशी जिताने की स्थिति में है। संख्या बल के हिसाब से महागठबंधन के पास फिलहाल इतनी ताकत नहीं दिख रही कि वह एक भी सीट सुरक्षित कर सके।
क्या है राज्यसभा चुनाव का फार्मूला?
इसका आधार फार्मूला है- कुल विधानसभा सीटों (243) को चुनाव होने वाली कुल सीटों में एक जोड़कर भाग देना। बिहार का पांच राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है। ऐसे में पांच में एक जोड़ेंगे तो आएगा छह। फिर 243 में 6 से भाग देने पर आंकड़ा 40.5 आता है, यानी न्यूनतम 41 विधायक के समर्थन से एक व्यक्ति राज्यसभा जा सकता है।

