Bihar: प्रशांत किशोर ने लगाए सनसनीखेज आरोप, घेरे में दिलीप जायसवाल से मंगल पांडेय

Neelam
By Neelam
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जुन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। प्रशांत किशोर लगातार यह साबित करने में जुटे हैं कि वह भाजपा की बी टीम नहीं हैं। इसी क्रम में जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। शुक्रवार को पटना में प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नया सियासी बम फोड़ा।

प्रशांत किशोर ने भाजपा नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नया बम फोड़ा है। उन्होंने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर गंभीर आरोप लगाया है। पीके ने कहा कि 2020 में कोविड में लोग परेशान थे और उस वक्त बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे दिल्ली में फ्लैट खरीद रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि इसमें वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल उनकी मदद कर रहे थे। प्रशांत किशोर ने कहा कि 6/8/19 को दिलीप जायसवाल ने अपने अकाउंट से 25 लाख मंगल पांडे के पिता को भेजा और मंगल पांडे के पिता ने ये पैसा अपनी बहु के अकाउंट में भेजा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फ्लैट दिल्ली के द्वारका सेक्टर 6 में मंत्री की पत्नी उर्मिला पांडेय के नाम पर कुल 86 लाख रुपये में खरीदा गया।

कॉलेज को मान्यता के लिए दी रिश्वत?

प्रशांत किशोर ने कहा कि 2020 के मंगल पांडे के एफिडेविट में ऐसी कोई घोषणा नहीं है जिसमें यह कहा गया है कि उन्होंने लोन लिया है। पांडेय ने इन रुपयों का इस्तेमाल कर दिल्ली के द्वारका में पत्नी के नाम पर फ्लैट खरीदा था। इसके बदले में जायसवाल के किशनगंज स्थित मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया।

मंगल पांडेय डॉक्टर-वेंडर से पैसा तो लेते हैं-पीके

पीके यहीं नहीं रूके, उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय डॉक्टर-वेंडर से पैसा तो लेते ही हैं, मंगल पांडेय अब अपने दल के नेता दिलीप जायसवाल से भी घूस लेने लगे हैं। मंगल पांडेय हेल्थ मिनिस्टर हैं और दिलीप जायसवाल मेडिकल कॉलेज चलाते हैं। पैसा लेते ही मंगल पांडेय ने दिलीप जायसवाल के कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी बना दिया।

एंबुलेंस खरीद में भी भ्रष्टाचार का आरोप

प्रशांत किशोर ने आगे आरोप लगाते हुए कहा, साल 2022 फरवरी में बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने 200 करोड़ रुपये से 1250 एंबुलेंस खरीदने के लिए टेंडर जारी किया था। कुल 466 एंबुलेंस वह भी टाइप सी को बिहार सरकार ने खरीदा। एक एंबुलेंस की कीमत 19 लाख 58 हजार 257 रुपये है। फोर्स मोटर, टाटा मोटर आधिकारिक रूप से एंबुलेंस बनाती है। इसी साल 22 अप्रैल को 28 लाख 47 हजार 580 रुपये की कीमत से एक एंबुलेंस खरीदी गई। टाटा मोटर को टेक्निकल ग्राउंड पर टेंडर से हटा दिया गया।

पीके ने कहा कि गौर करने वाली बात है कि विभिन्न प्रदेशों की तुलना में बेहद अधिक दामों पर बिहार में एंबुलेंस खरीदी गई है। यह बेहद गंभीर मामला है। भ्रष्टाचार हुआ है। फोर्स मोटर की एंबुलेंस की बाजार में कीमत 19 लाख रुपया है और बिहार सरकार ने 28 लाख में खरीदा है।

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