बिहार में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले आरजेडी ने बड़ा फैसला लिया है। पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को बदलने का निर्णय किया है। पार्टी जगदानंद सिंह की जगह मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। आरजेडी ने यह फैसला चुनाव से ठीक पहले जातीय समीकरण को साधने के लिए किया है।

नामांकन के दो दिन पहले तक राजद प्रदेश अध्यक्ष के पद की दौड़ में दो चेहरे थे। शुक्रवार दोपहर तक उनमें से एक नाम आलोक मेहता पीछे छूट गया। उसके बाद यह लगभग तय हो गया कि प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के स्थानापन्न अब मंगनी लाल मंडल ही होंगे। मंगनी लाल मंडल शनिवार यानी आज प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करेंगे। चुनाव 19 जून को होगा और उसी दिन नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे।
जगदानंद सिंह काफी समय से पार्टी की गतिविधियों से दूर
जगदानंद सिंह काफी समय से पार्टी की गतिविधियों से दूर थे। इसलिए उन्हें आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। वो राजपूत समाज से हैं और आरजेडी का बड़ा सवर्ण चेहरा माने जाते हैं। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से उन्होंने पार्टी के कामों में भाग लेना कम कर दिया था। वे आरजेडी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी नहीं आए थे। इसके अलावा, कई महीनों से वे पार्टी कार्यालय भी नहीं गए थे।
मंगनीलाल के जरिए जाति समीकरण साधने की तैयारी
मंगनी लाल मंडल अति पिछड़ों के बड़े नेता माने जाते हैं। उनकी उम्र लगभग 76 साल है। वे 1986 से 2004 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। इस दौरान वे राज्य सरकार में मंत्री भी थे। वो सांसद भी रह चुके हैं। बिहार में अति पिछड़ा वर्ग की आबादी लगभग 36 प्रतिशत है। मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर आरजेडी चुनावी साल में जाति के समीकरण को ठीक करने की कोशिश कर रही है। इससे अत्यंत पिछड़ा वर्ग को साधने में मदद मिलेगी।
कौन हैं आलोक मेहता?
वहीं, अब तक प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल रहे आलोक मेहता की बात करें तो उन्हें लालू यादव का करीबी माना जाता है। वह समस्तीपुर के उजियारपुर से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक हैं। पूर्व सांसद रह चुके आलोक मेहता बिहार सरकार में शिक्षा और राजस्व मंत्री रह चुके हैं और वह कुशवाहा समाज से आते हैं जो बिहार में करीब 4-6% वोट बैंक की हिस्सेदारी रखता है। वोट बैंक के साथ ही उनकी सौम्य छवि और संगठन में स्वीकार्यता उन्हें बिहार राजद अध्यक्ष पद का मजबूत दावेदार बनाती थी। उनका अध्यक्ष बनना लगभग पक्का माना जा रहा था। लेकिन, हाल ही में वैशाली कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में ईडी की छापेमारी ने उनके नाम को विवादों में ला दिया। हालांकि, आरजेडी ने इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया था। लेकिन, अब उन्हें बिहार राजद अध्यक्ष न बनाकर संभव है कि लालू यादव आरजेडी की छवि को खराब नहीं करना चाहते हैं।