Bihar: पटना में 12 सितंबर को सुभासपा का अधिवेशन, चुनाव से पहले राजभर करेंगे शक्तिप्रदर्शन

Neelam
By Neelam
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बिहार विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। बिहार के चुनावी रण को में उत्तरप्रदेश की एक और पार्टी जोर आजमाती दिखेगी। दरअसल, उत्तरप्रदेश में एनडीए का सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने बिहार में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। सुभासपा प्रमुख व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने चुनाव से पहले बिहार की धरती पर शक्ति प्रदर्शन का भी ऐलान कर दिया है ।

ओमप्रकाश राजभर ने ऐलान किया है कि 12 सितंबर को पटना में उनकी पार्टी का बड़ा अधिवेशन आयोजित होगा। यह अधिवेशन न केवल सुभासपा के संगठन की मजबूती दिखाएगा, बल्कि आने वाले चुनाव में पार्टी की रणनीति और दिशा भी तय करेगा। ओमप्रकाश राजभर का कहना है कि पटना में होने वाला अधिवेशन केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं होगा, बल्कि यह पार्टी के कार्यकर्ताओं की शक्ति प्रदर्शन का अवसर बनेगा। इसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल होंगे।

बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाने की तैयारी

अधिवेशन के जरिए पार्टी जनता और गठबंधन सहयोगियों को यह संदेश देना चाहती है कि वह बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बीजेपी और सुभासपा के बीच अच्छे संबंध हैं और दोनों पार्टियां चुनावी मोर्चे पर साथ खड़ी होंगी। उन्होंने कहा कि जनता को भी इसका फायदा मिलेगा और बिहार में विकास और सशक्त नेतृत्व दोनों सुनिश्चित होंगे।

राजभार ने 29 सीटों की सूची बीजेपी को सौंपी

कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के अनुसार बिहार में चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं से बैठक की है। बैठक में सुभासपा ने बिहार के 29 सीटों की सूची बीजेपी के नेताओं को सौंप दी है। विश्वास इतना है कि चुनाव नजदीक आते ही दोनों पार्टियां मिलकर सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला भी कर लेगी।

बिहार में भी योगी मॉडल लागू करना है मकसद

इससे पहले खबर आई थी कि सुभासपा अकेले दम पर बिहार में 40-42 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पर उनका कहना है कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं से बात करने के बाद अपना टारगेट कम कर लिया है। उनका कहना है कि यह तय है कि सुभासपा और बीजेपी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। यूपी के मंत्री राजभर की माने तो उनका पहला उद्देश्य है बिहार में एनडीए की सरकार बने और दूसरा बड़ा मकसद है कि बिहार में भी योगी आदित्यनाथ का मॉडल लागू हो।

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