हज़ारीबाग: शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिसे अस्तित्व में आए छह साल हो चुके हैं, आज भी बायो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की सुविधा से वंचित है। यह गंभीर चूक न केवल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि सरकारी उदासीनता और पर्यावरण सुरक्षा की अनदेखी की ओर भी इशारा करता है।
बायो मेडिकल वेस्ट का समुचित निस्तारण किसी भी अस्पताल के लिए अनिवार्य होता है, खासकर तब जब वह मेडिकल कॉलेज स्तर का हो। लेकिन वर्तमान में शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में ही, पोस्टमार्टम हाउस के पास, जैविक कचरे को खुले में फेंक दिया जाता है। यह न केवल संक्रमण फैलाने का खतरा बढ़ाता है बल्कि मरीजों, तीमारदारों और स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी सीधा असर डालता है।
निजी नर्सिंग होम भी नहीं हैं पीछे
हज़ारीबाग शहर में दर्जनों निजी नर्सिंग होम व अस्पताल भी बायो वेस्ट के निस्तारण में लापरवाही बरत रहे हैं। कई संस्थान अपने मेडिकल कचरे को सड़कों के किनारे फेंक रहे हैं, जिससे न केवल गंदगी फैल रही है बल्कि जानवरों व राहगीरों की जान को भी खतरा हो सकता है।
इस मुद्दे पर शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनूकरण पूर्ति ने बताया,”अस्पताल में इंसीनरेटर नहीं है और अब इंसीनरेटर पर भी प्रतिबंध लग चुका है। प्रतिदिन दो टन से अधिक बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है जिसे रामगढ़ भेजा जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने एक निजी कंपनी से अनुबंध किया है, जिसका प्लांट रामगढ़ में स्थित है और वही उठाव कर निस्तारण करती है।”
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जताई चिंता
स्वास्थ्य क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता गणेश कुमार ‘सीटू’ ने इस समस्या को बेहद गंभीर बताया। उनका कहना है,
“यह सिर्फ हज़ारीबाग नहीं, पूरे झारखंड की समस्या बन सकती है। जब तक बायो वेस्ट प्लांट स्थानीय स्तर पर नहीं लगता, तब तक संक्रमण व गंदगी की समस्या बनी रहेगी।”
कब मिलेगी स्थायी समाधान की राह?
स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं आया है कि शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज में स्थायी बायो वेस्ट प्लांट कब तक स्थापित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक स्थानीय स्तर पर कचरे का निष्पादन नहीं होगा, तब तक संक्रमण, जल और वायु प्रदूषण से निपटना मुश्किल रहेगा।