झारखंड के रामगढ़ जिले की बेटी और विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) बिरहोर समुदाय की पहली स्नातक रश्मि बिरहोर ने रांची स्थित राजभवन में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात न केवल रश्मि के लिए एक ऐतिहासिक क्षण रहा, बल्कि यह पूरे समुदाय के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय बन गई।
रश्मि के साथ टाटा स्टील फाउंडेशन (TSF) की ‘आकांक्षा परियोजना’ से जुड़े असिस्टेंट मैनेजर, कम्युनिटी डेवलपमेंट दीपक कुमार श्रीवास्तव भी उपस्थित थे। यह परियोजना बिरहोर समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य कर रही है।

राष्ट्रपति से हुई मुलाकात को लेकर रश्मि ने कहा, “ राष्ट्रपति ने मुझसे और मेरे माता-पिता से संथाली भाषा में आत्मीयता से बातचीत की, जिससे हमें बहुत सम्मान और अपनापन महसूस हुआ।” उन्होंने कहा कि टाटा स्टील फाउंडेशन की आकांक्षा परियोजना ने उन्हें शिक्षा का जो अवसर दिया, उसी के चलते उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि उनकी यह यात्रा उनके समुदाय के बच्चों के लिए आशा की किरण बने।
रश्मि की शैक्षणिक यात्रा
रश्मि ने वर्ष 2017 में ‘आकांक्षा परियोजना’ से जुड़कर सेंट रॉबर्ट्स गर्ल्स स्कूल, हजारीबाग से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जी.एम. ईवनिंग कॉलेज, हजारीबाग से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने न सिर्फ बिरहोर समुदाय की पहली मैट्रिक पास छात्रा बनने का गौरव प्राप्त किया, बल्कि ग्रेजुएट होने वाली पहली छात्रा भी बनीं।
टाटा स्टील फाउंडेशन का बयान
टाटा स्टील फाउंडेशन के सीईओ सौरव रॉय ने कहा, “रश्मि की सफलता यह साबित करती है कि कठिन परिस्थितियां व्यक्ति की क्षमताओं को नहीं बांध सकतीं। हम चाहते हैं कि हर बच्चा, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से आता हो, समान अवसर पाए और अपने भविष्य को स्वयं गढ़ सके।”
वहीं, वेस्ट बोकारो डिवीजन के जनरल मैनेजर अनुराग दीक्षित ने कहा, “यह टाटा स्टील और PVTG समुदाय के लिए अत्यंत गर्व का क्षण है कि राष्ट्रपति ने रश्मि से मिलकर न केवल उन्हें सम्मानित किया, बल्कि पूरे समाज को एक नई दिशा दी।”
आकांक्षा परियोजना की भूमिका
‘आकांक्षा परियोजना’ का उद्देश्य पीवीटीजी समुदाय के बच्चों को शिक्षा के बेहतर अवसर प्रदान करना है। इसके अंतर्गत उन्हें आवासीय और गैर-आवासीय सुविधाएं, आर्थिक सहायता और शैक्षणिक मार्गदर्शन दिया जाता है। अब तक यह परियोजना 80 से अधिक बिरहोर बच्चों को शिक्षा से जोड़ चुकी है।
रश्मि का परिवार
रश्मि के परिवार में पिता सुधांशु बिरहोर, माता सावा देवी और छोटा भाई मनीष शामिल हैं। मनीष फिलहाल दूसरी कक्षा में पढ़ाई कर रहा है। रश्मि की यह उपलब्धि इस बात का प्रतीक है कि जब समुदायों को अवसर दिए जाते हैं, तो वे असाधारण उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।