जमुई, बिहार: शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत नामांकन में धांधली का एक चौंकाने वाला मामला जमुई जिले से सामने आया है। एक ही बच्चे के दो जन्म प्रमाण पत्र, जिनमें जन्म तिथि में अंतर है, ने प्रशासन और शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
मामला एक बच्चे शिवांसु कुमार का है, जिसके पिता शिवबालक यादव और माता रिंकू देवी हैं। बिहार सरकार के योजना एवं विकास विभाग नगर परिषद, जमुई द्वारा दिनांक 27 अगस्त 2020 को जारी जन्म प्रमाण पत्र में बच्चे की जन्म तिथि 8 फरवरी 2017 अंकित है। इसका पंजीकरण संख्या B-2020-10-90134-000462 है और इस पर नगर परिषद जमुई की अधिकृत मुहर भी मौजूद है।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि पांच साल बाद, यानि 24 जनवरी 2025 को सदर अस्पताल जमुई के नाम से दूसरा जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, जिसमें उसी बच्चे का नाम, माता-पिता वही रहते हैं लेकिन जन्म तिथि 8 फरवरी 2018 दर्शाई जाती है। यह प्रमाण पत्र पंजीकरण संख्या B-2018-10-90363-003579 के अंतर्गत आता है। यानी पांच वर्षों में बच्चे की उम्र सिर्फ एक साल बढ़ती है।
इस प्रमाण पत्र पर जन्म-मृत्यु निबंधन रजिस्ट्रार, सदर अस्पताल, जमुई की सिग्नेचर और मुहर भी है, लेकिन उसकी सत्यता अब जांच का विषय बन गई है।
फर्जी प्रमाण पत्र के दम पर RTE के तहत नामांकन

सूत्रों के मुताबिक, इसी फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर राजकमल स्कूल, जमुई में RTE के अंतर्गत नामांकन भी करवा लिया गया है। चूंकि RTE के तहत नामांकन के लिए आयु सीमा महत्वपूर्ण है, इसलिए जन्म तिथि में फेरबदल कर लाभ उठाने की आशंका जताई जा रही है।
ऑनलाइन जालसाजी का बड़ा रैकेट
सूत्रों की मानें तो जमुई जिले में फर्जी ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र बनाने का बड़ा रैकेट सक्रिय है। सिर्फ 500 से 1500 रुपये तक में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र चंद घंटों में तैयार हो जाते हैं। इसके लिए जरूरी दस्तावेज के रूप में सिर्फ माता या पिता का आधार कार्ड ही मांगा जाता है और कई बार उसमें भी ढील दी जाती है। जिले के कई साइबर कैफे इस गोरखधंधे में शामिल बताए जा रहे हैं।
बिहार अभिभावक महासंघ ने उठाई जांच की मांग
इस गंभीर विषय पर बिहार अभिभावक महासंघ के सचिव प्रमोद कुमार ने जिलाधिकारी से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इसे देश की सुरक्षा में बड़ी चूक बताते हुए चेताया है कि इस तरह से घुसपैठिए भी अपने बच्चों के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर आधार कार्ड तैयार कर सकते हैं। इससे वे भारतीय नागरिक बन सकते हैं और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
प्रमोद कुमार ने यह भी कहा कि RTE जैसे कल्याणकारी योजनाओं का दुरुपयोग कर ऐसे लोग वास्तव में जरूरतमंद बच्चों का अधिकार छीन रहे हैं, जिन्हें सही मायनों में इस योजना की जरूरत है। उन्होंने दोषी विभागीय कर्मियों, स्कूल प्रशासन और इस फर्जीवाड़े में शामिल साइबर कैफे पर भी सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जिलाधिकारी ने जाँच कर उचित कार्रवाई का दिया आश्वासन
वहीं जब इस सन्दर्भ में जमुई जिलाधिकारी अभिलाषा शर्मा से बात की गई तो उन्होंने इसकी जांच कर उचित कार्रवाई करने की बात कही है
प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी नजरें
यह मामला सिर्फ एक परिवार या स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे व्यापक स्तर पर प्रशासनिक कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और भरोसे पर सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिला प्रशासन इस मामले की जांच किस तरह से करता है और क्या दोषियों को सजा दिला पाता है या नहीं।
यह प्रकरण न केवल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की पोल खोलता है, बल्कि सरकारी दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।