मिरर मीडिया : देश मे संभवतः झारखंड ऐसा अकेला राज्य है जहां सरकार गठन के 2 वर्ष के बाद भी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नही दिया गया है। इसी अहम मुद्दे को लेकर आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित विधायक दल की बैठक गंभीरता से चर्चा कर रणनीति बनाई गई वही इस मामले को लेकर भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई विधायक गुहार लगाने राजभवन पंहुचे जहां उन्होंने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर बाबूलाल मरांडी को झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए पहल करने का आग्रह किया।
मौके पर प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि हेमंत सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है। नेता प्रतिपक्ष की घोषणा को लेकर सरकार की मंशा ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री प्रतिपक्ष के नेता के बिना ही विधानसभा का संचालन चाहते हैं। मुख्यमंत्री के बयानों में कई बार उनकी यह मंशा उजागर हो चुकी है। वही पूर्व शिक्षा मंत्री सह भाजपा विधायक नीरा यादव ने कहा कि प्रदेश में लोकतंत्र की परंपरा और मर्यादाओं का सत्ता पक्ष मखौल उड़ा रहा है। इसलिए पार्टी ने राज्य के संवैधानिक प्रधान के पास निवेदन किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए राज्यपाल के हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
दरअसल झारखंड में विधानसभा चुनावों के बाद से ही यह मामला उलझा हुआ है, क्योंकि भाजपा ने झारखंड विकास मोर्चा का विलय कराकर उसके नेता बाबूलाल मरांडी को 24 फरवरी को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया था और इसकी सूचना राज्य विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो को भी दे दी थी। भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने की मांग की थी, लेकिन तमाम आश्वासनों के बावजूद विधानसभाध्यक्ष ने अब तक मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं दी है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि 15 मार्च, 2020 को चुनाव आयोग ने भी झारखंड विकास मोर्चा के भाजपा में विलय को मान्यता दे दी थी। इसके बावजूद विधानसभाध्यक्ष ने भाजपा की मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग पर कोई फैसला नहीं किया है।