बीजेपी सांसद ने कहा- ‘पीएम मोदी पिछले जन्म में छत्रपति शिवाजी महाराज थे’, विपक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति

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नई दिल्ली: संसद में जारी बजट सत्र के दौरान ओडिशा के बारगढ़ से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद प्रदीप पुरोहित के एक बयान ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज से करते हुए दावा किया कि मोदी का पूर्व जन्म शिवाजी महाराज के रूप में हुआ था। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी और विपक्षी दलों ने इसे लेकर बीजेपी पर निशाना साधा।

संत के हवाले से दिया गया बयान

प्रदीप पुरोहित ने संसद में अपने संबोधन के दौरान एक संत से हुई बातचीत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ओडिशा के गंधमर्दन पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले एक संत ने उनसे कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी का पिछला जन्म छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में हुआ था और आज वे भारत को दुनिया की सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर उठे सवाल

पुरोहित का यह बयान सामने आते ही सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कई लोगों ने इसे छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान बताया, तो कुछ ने इसे ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करार दिया। विपक्षी नेताओं ने भी इस बयान को लेकर बीजेपी को आड़े हाथों लिया और इसे शिवाजी की विरासत का राजनीतिकरण करने की साजिश बताया।

कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,”बीजेपी बार-बार छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल कर रही है। यह महाराष्ट्र और शिव भक्तों का अपमान है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और नरेंद्र मोदी को इस पर देश से माफी मांगनी चाहिए।”

शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी बीजेपी सांसद के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की छत्रपति शिवाजी महाराज से तुलना अस्वीकार्य है और बीजेपी को अपने नेताओं को नियंत्रित करने की जरूरत है।

छत्रपति शिवाजी महाराज 17वीं शताब्दी के एक महान मराठा शासक थे, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ स्वराज की स्थापना की थी। उनकी सैन्य रणनीति, प्रशासनिक कुशलता और नीतियों ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक महानायक बनाया। खासकर महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रतीक हैं, जिनका नाम किसी भी समकालीन नेता से जोड़ना संवेदनशील मुद्दा बन जाता है।

BJP नेतृत्व की अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं

इस विवाद के बाद भी अब तक बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज हो गई है। देखना होगा कि पार्टी इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या बीजेपी सांसद अपने बयान पर सफाई देते हैं या नहीं।

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