झारखंड सरकार में मंत्री हफीजुल हसन की “पहले शरीयत, फिर संविधान” संबंधी टिप्पणी ने सोमवार को सियासी तूफान खड़ा कर दिया। हालांकि मंत्री हसन ने इस बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को संदर्भ से काटकर पेश किया गया है और इसकी गलत व्याख्या की जा रही है।
हसन ने कहा, “मैंने ‘मैं’ नहीं कहा, बल्कि ‘हम’ कहा था, जिसमें सभी लोग शामिल हैं। मैं एक मंत्री हूं और संविधान के अनुसार ही कार्य करता हूं। शरीयत का भी लोगों के दिलों में स्थान है, जैसे अन्य धर्मों में हनुमान जी का होता है, पर यह संविधान की जगह नहीं लेता।”
उन्होंने मीडिया से अपील की कि उनकी पूरी बात का 5-6 मिनट का वीडियो देखा जाए, जिससे सही मंशा स्पष्ट हो सके।
राजनीतिक पारा चढ़ा
हसन के इस बयान के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस और झामुमो से इस पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की है। मरांडी ने तीखा हमला बोलते हुए कहा, “अब यह साफ हो गया है कि कांग्रेस और झामुमो संविधान की बात सिर्फ दिखावे के लिए करते हैं।”
केंद्रीय मंत्री की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी मंत्री हसन की टिप्पणियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा, “आज अंबेडकर जयंती है, यह दिन संविधान और बाबा साहेब को सम्मान देने का है। ऐसे दिन संविधान विरोधी बयान देना निंदनीय है।”
बीजेपी का आंदोलन का ऐलान
मरांडी ने आगे चेताया कि बीजेपी इस मुद्दे को लेकर पूरे झारखंड में आंदोलन छेड़ेगी ताकि जनता जान सके कि सत्ताधारी दल संविधान की जगह शरीयत को तरजीह दे रहे हैं।
इस पूरे विवाद ने झारखंड की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है।

