झारखंड में पिछले दो दशकों से हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड देखने को मिला है। बीजेपी नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन इस परंपरा को जारी रखने के लिए जुटा हुआ है, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम)-कांग्रेस गठबंधन इसे तोड़ने की कोशिश में है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सरकार को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी कुर्सी का भविष्य कांग्रेस के प्रदर्शन पर टिका है। अगर कांग्रेस अपने हिस्से की सीटों पर बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई, तो सोरेन सरकार की सत्ता में वापसी मुश्किल हो सकती है।
दूसरे चरण की 38 सीटों पर कड़ा मुकाबला
पहले चरण की 43 सीटों के बाद अब बुधवार को दूसरे चरण की 38 सीटों पर मतदान होना है।
बीजेपी और सहयोगी दल: बीजेपी ने 33 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि उसकी सहयोगी आजसू 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
जेएमएम और सहयोगी दल: जेएमएम ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, और कांग्रेस 13 सीटों पर मैदान में है। आरजेडी ने 2 और सीपीआईएम ने 3 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं।
इस चरण में 17 सीटों पर बीजेपी और जेएमएम के बीच सीधा मुकाबला है, जबकि 11 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं। इसके अलावा, तीन सीटों पर आजसू बनाम जेएमएम की लड़ाई, और तीन सीटों पर माले और बीजेपी के बीच मुकाबला है।
कांग्रेस के लिए बड़ी परीक्षा
कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। वह जिन 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से 8 पर उसका कब्जा है।
2019 के आंकड़े: कांग्रेस के 9 विधायक चुने गए थे, लेकिन एक विधायक की सदस्यता समाप्त हो चुकी है।
महत्वपूर्ण चेहरे: इस चरण में कांग्रेस के मौजूदा मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
डॉ. इरफान अंसारी (जामताड़ा): हैट्रिक की कोशिश में।
दीपिका पांडेय सिंह (महागामा): दूसरी बार जीत का प्रयास।
आलमगीर आलम (पाकुड़): जेल में होने के कारण उनकी पत्नी मैदान में हैं।
बादल पत्रलेख (जरमुंडी): लगातार तीसरी जीत के लिए प्रयासरत।
इसके अलावा, पोड़ैयाहाट, खिजरी, बेरमो, और झरिया सीटों पर भी कांग्रेस के उम्मीदवार मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं।
संथाल परगना की अहमियत
संथाल परगना की 18 सीटें झारखंड की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाती रही हैं।
2009 का प्रदर्शन: एनडीए को 2 सीट, यूपीए को 16 सीट।
2014 का प्रदर्शन: एनडीए को 7 सीट, यूपीए को 11 सीट।
2019 का प्रदर्शन: एनडीए को 4 सीट, महागठबंधन को 14 सीट।
संथाल परगना जेएमएम का गढ़ माना जाता है, लेकिन बीजेपी ने इस बार क्षेत्र में जोरदार प्रचार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, और जेपी नड्डा ने यहां कई रैलियां की हैं।
कांग्रेस पर निर्भर हेमंत सोरेन की कुर्सी
झारखंड के मौजूदा सियासी समीकरण में कांग्रेस के प्रदर्शन पर हेमंत सोरेन की सत्ता वापसी की संभावनाएं टिकी हुई हैं। कांग्रेस के लिए चुनौती सिर्फ अपनी सीटें बचाने की नहीं है, बल्कि बेहतर प्रदर्शन करके महागठबंधन को सत्ता में वापसी का मौका देना भी है।
अगर कांग्रेस अपने कोटे की 13 सीटों पर बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाती, तो यह हेमंत सोरेन के लिए बड़ा झटका साबित होगा। दूसरी ओर, बीजेपी और उसके सहयोगी एनडीए के लिए यह मौका है कि वे झारखंड में सत्ता परिवर्तन की परंपरा को कायम रखें।