डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिसड़ा निवासी बीएसएफ कांस्टेबल पूर्णम कुमार साव की पत्नी ने बताई पाकिस्तान में यातना की कहानी। पूर्णम को 23 अप्रैल को पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में लिया था, 21 दिन बाद 14 मई को अटारी-वाघा सीमा पर भारत को सौंप दिया गया। सीमा पर तनाव और विस्तृत जांच के कारण वह अभी घर नहीं लौटेंगे। उनकी गर्भवती पत्नी रजनी साव ने बताया कि वह अपने पति से मिलने अगले सप्ताह पंजाब के पठानकोट जाएंगी।
रजनी ने खुलासा किया कि पाकिस्तानी हिरासत में पूर्णम को जासूस समझकर मानसिक यातनाएं दी गई, जिसमें उन्हें सोने से रोका गया। उन्होंने फोन पर पति से बातचीत में यह जानकारी प्राप्त की। रजनी ने बीएसएफ मुख्यालय से संपर्क कर पठानकोट यात्रा की व्यवस्था की है।
पूर्णम ने फिरोजपुर सेक्टर में गश्त के दौरान अनजाने में सीमा पार कर ली थी। यह घटना पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल) के बाद भारत-पाक तनाव के बीच हुई, जिसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। कूटनीतिक प्रयासों और एक पाकिस्तानी रेंजर की भारत में हिरासत ने पूर्णम की रिहाई में मदद की।
रजनी ने भारतीय सरकार, बीएसएफ, और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनकी स्थिति पर नजर रखी। ममता ने पूर्णम को ‘भाई’ कहकर उनकी रिहाई पर खुशी जताई। बीएसएफ ने पुष्टि की कि पूर्णम की मेडिकल और मनोवैज्ञानिक जांच चल रही है, और उनकी नौकरी सुरक्षित है।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर पूर्णम की रिहाई की सराहना हो रही है, जिसमें मोदी सरकार के कूटनीतिक प्रयासों को श्रेय दिया गया। रजनी ने कहा ‘मेरे पति सुरक्षित हैं, लेकिन उनकी यातनाओं ने हमें झकझोर दिया। मैं जल्द उनसे मिलने पठानकोट जाऊंगी।’