मिरर मीडिया : केयरटेकर हो या नौकर अब मालिक के संपत्ति के नहीं हो सकते हैं मालिक। यह महत्वपूर्ण और अहम् आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चाहे उन्होंने कितने भी समय से सेवा की हो पर वे कभी मालिक के संपत्ति पर अपना कब्ज़ा नहीं जमा सकते।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और ए.एस. ओका की पीठ ने यह फैसला देते हुए सत्र न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसलों को निरस्त कर दिया, जिसमें संपत्ति पर नौकर के दावे को स्वीकार कर लिया गया था। साथ ही नौकर को आदेश दिया कि वह संपत्ति को तीन माह के अंदर खाली कर उसका कब्जा मालिक को सौंप दे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यदि वह कब्जा नहीं देता तो उस पर कानूनी रूप से कार्रवाई की जाएगी।
अदालत ने इसके साथ ही मालिक की सीपीसी के आदेश 7 और नियम 11 की अर्जी स्वीकार कर ली और कहा कि नौकर का संपत्ति में कोई हक अर्जित नहीं होता। अदालत ने कहा कि नौकर या केयरटेकर प्रतिगामी कब्जे (एडवर्स पजेशन) का दावा भी नहीं कर सकता क्योंकि वह संपत्ति पर मालिक द्वारा देखभाल के वास्ते रखा गया है जिसका वह कोई किराया या अन्य कोई राजस्व नहीं दे रहा था।
दरअसल एक नौकर ने दीवानी कोर्ट में मुकदमा दायर करते हुए मालिक की लंबे समय से देखभाल करने पर मालिक के संपत्ति पर कब्जा लेने का प्रयास किया। नौकर का कहना है कि वह इस संपत्ति पर लंबे समय से रह रहा है इसलिए यह उसकी संपत्ति हो गई। मुकदमा में नौकर ने अपील कि की संपत्ति का शांतिपूर्ण कब्जा बनाए रखने का अंतरिम आदेश दिया जाए तथा मलिक को हस्तक्षेप से रोका जाए। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सभी दलीलों को खारिज कर दिया।