भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने सोमवार को सोशल मीडिया कंपनी मेटा (फेसबुक की मूल कंपनी) पर 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना 2021 में व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी से जुड़े अनुचित व्यावसायिक तरीकों को अपनाने और प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार के कारण लगाया गया। इसके साथ ही सीसीआई ने मेटा को अपने प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार को रोकने और भविष्य में इससे बचने का सख्त निर्देश दिया है।
प्राइवेसी पॉलिसी पर क्या थे आरोप?
2021 में व्हाट्सएप ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव किया, जिसमें उपयोगकर्ता डेटा को फेसबुक (अब मेटा) और उसकी अन्य कंपनियों के साथ साझा करना अनिवार्य किया गया। उपयोगकर्ताओं को व्हाट्सएप का उपयोग जारी रखने के लिए इन शर्तों को स्वीकार करना अनिवार्य बनाया गया, जिसे सीसीआई ने ‘टेक-इट-या-लीव-इट’ पॉलिसी बताया।
इस नई नीति के तहत:
- उपयोगकर्ताओं के पास डेटा शेयरिंग से बाहर निकलने (ऑप्ट-आउट) का विकल्प नहीं था।
- डेटा कलेक्शन और अनिवार्य डेटा शेयरिंग से उपयोगकर्ताओं की स्वायत्तता पर प्रभाव पड़ा।
- इस नीति ने मेटा की कंपनियों को अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों पर अनुचित लाभ दिया।
सीसीआई की जांच और निष्कर्ष
सीसीआई ने मार्च 2021 में व्हाट्सएप की रिवाइज्ड प्राइवेसी पॉलिसी की जांच शुरू की। तीन साल से अधिक चली इस जांच में आयोग ने पाया कि:
व्हाट्सएप की नई नीति उपयोगकर्ताओं को मजबूर करती थी कि वे डेटा शेयरिंग शर्तों को स्वीकार करें।
इस नीति से मेटा ने अपनी डॉमिनेंट पोजीशन (प्रतिस्पर्धा में दबदबा) का दुरुपयोग किया।
मेटा ने व्हाट्सएप यूजर्स के डेटा का उपयोग कर ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत किया।
यह नीति अन्य कंपनियों के लिए बाजार में प्रवेश करना या प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल बनाती है।
सीसीआई ने मेटा के इस व्यवहार को भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4(2)(ए)(i) का उल्लंघन बताया।
मेटा पर लगाए गए प्रतिबंध:
सीसीआई ने मेटा को आदेश दिया है कि:
- व्हाट्सएप द्वारा उपयोगकर्ताओं से इकट्ठा किए गए डेटा को पांच साल तक विज्ञापन उद्देश्यों के लिए अन्य मेटा प्रोडक्ट्स के साथ साझा न किया जाए।
- मेटा को प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को तुरंत बंद करने और उनसे दूर रहने का निर्देश दिया गया।
व्हाट्सएप का बचाव:
व्हाट्सएप ने पहले इस नीति को लेकर सफाई दी थी। कंपनी का कहना था कि प्राइवेसी पॉलिसी का उद्देश्य व्यक्तिगत चैट की गोपनीयता को प्रभावित करना नहीं था, बल्कि यह व्यवसायिक उपयोगकर्ताओं के लिए पेश की गई सेवाओं से संबंधित था।
व्हाट्सएप के देश में प्रभाव और सीसीआई का आदेश:
भारत में व्हाट्सएप के 500 मिलियन से अधिक मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। ऐसे में सीसीआई का यह निर्णय मेटा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि मेटा की नीति ने प्रतिस्पर्धा को बाधित किया और अन्य कंपनियों के लिए व्यापार के अवसर सीमित कर दिए।
सीसीआई के फैसले का महत्व:
यह निर्णय उपयोगकर्ताओं की डेटा प्राइवेसी और बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को सुनिश्चित करने के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है। इससे यह संदेश जाता है कि बड़े तकनीकी दिग्गज भी कानून के दायरे में हैं और उन्हें अपने व्यवसायिक तरीकों में पारदर्शिता और निष्पक्षता रखनी होगी।