नई दिल्ली: संसद में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन केंद्र ने इस पर अपना पक्ष मजबूती से रखा। सरकार ने इस विधेयक का नाम बदलते हुए इसे ‘उम्मीद’ (यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट) कर दिया है। केवल नाम परिवर्तन ही नहीं, बल्कि इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव भी किए गए हैं।
नए विधेयक में क्या है खास?
नए संशोधन के तहत, वक्फ संपत्ति के दान को लेकर सख्त प्रावधान किए गए हैं। अब कोई भी व्यक्ति केवल तभी वक्फ के लिए संपत्ति दान कर सकता है, जब वह कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो। साथ ही, दान की गई संपत्ति किसी भी कानूनी विवाद में नहीं होनी चाहिए।
रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियों में बदलाव नहीं
नए विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि जो संपत्तियां पहले से वक्फ के रूप में पंजीकृत हैं, उनमें कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। हालांकि, यदि कोई संपत्ति सरकारी भूमि के रूप में चिन्हित की गई है या किसी प्रकार के विवाद में फंसी हुई है, तो वह इस श्रेणी में नहीं आएगी। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि पंजीकृत वक्फ संपत्तियां अपनी स्थिति बरकरार रखें, जब तक कि उन पर कानूनी विवाद उत्पन्न न हो।
धारा 40 का हुआ अंत
इस विधेयक में सबसे बड़ा बदलाव धारा 40 को हटाने के रूप में देखा जा रहा है। यह धारा वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने का अधिकार देती थी। पहले, यदि वक्फ बोर्ड को किसी संपत्ति पर संदेह होता था, तो वह उसकी जांच कर सकता था और उसे वक्फ घोषित कर सकता था। अब, इस संशोधन के बाद, इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है, जिससे निजी संपत्तियों के स्वामित्व को लेकर संभावित विवादों पर अंकुश लगेगा।
‘वक्फ बाय यूजर’ अवधारणा खत्म
एक और बड़ा बदलाव यह हुआ है कि अब ‘वक्फ बाय यूजर’ की अवधारणा को विधेयक से हटा दिया गया है। पहले, किसी संपत्ति को केवल लंबे समय से धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने के आधार पर वक्फ घोषित किया जा सकता था, भले ही इसके लिए कोई औपचारिक दस्तावेज मौजूद न हो। इस प्रावधान के हटने से कई पुराने धार्मिक स्थलों और कब्रिस्तानों की स्थिति को लेकर विवाद बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन केंद्र ने इसे न्यायसंगत और पारदर्शी बताते हुए इस संशोधन को आगे बढ़ाने का संकल्प जताया।