नई दिल्ली: केंद्र सरकार आज (मंगलवार) लोकसभा में बहुप्रतीक्षित ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश करेगी। इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो चुकी है, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है।
पिछले शुक्रवार को लोकसभा के एजेंडे में इस बिल को शामिल किया गया था, लेकिन संशोधित कार्यसूची में इसे हटा दिया गया था। अब आज की संशोधित सूची के मुताबिक, इस बिल को सदन में पेश किया जाएगा।
जेपीसी में भेजा जा सकता है बिल
सूत्रों के अनुसार, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पर व्यापक चर्चा और सहमति बनाने के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजा जा सकता है। सरकार ने संकेत दिया है कि यदि विपक्ष की ओर से यह मांग उठती है, तो वह इस पर आपत्ति नहीं करेगी। जेपीसी के गठन की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है, जिसमें भाजपा और कांग्रेस समेत अन्य दलों के सदस्यों को शामिल किया जाएगा।
एनडीए में सहमति, विपक्ष कर रहा विरोध
सूत्रों का कहना है कि एनडीए के सभी घटक दल इस बिल के समर्थन में हैं। हालांकि, विपक्षी दल इसे राजनीतिक कारणों से विरोध कर रहे हैं।
क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का अर्थ है कि देश में लोकसभा, राज्य विधानसभा, नगर निगम, पंचायत और अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विचार के प्रबल समर्थक हैं और कई बार इसके लाभों की चर्चा कर चुके हैं।
इतिहास में भी हो चुके हैं संयुक्त चुनाव
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए थे। लेकिन राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता और सरकारों के गिरने के कारण यह प्रथा समाप्त हो गई। इसके बाद से लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर कराए जा रहे हैं।
क्या होगा असर?
इस प्रस्तावित प्रणाली से चुनावी खर्चों में कमी आने और प्रशासनिक प्रक्रिया में सुधार की उम्मीद है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इसे लागू करना जटिल है और यह संघीय ढांचे पर प्रभाव डाल सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आज लोकसभा में इस बिल को लेकर क्या रुख अपनाया जाता है और यह प्रस्ताव कितना आगे बढ़ पाता है।