डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने गुरुवार को पाकुड़ के बाजार समिति मैदान में आयोजित मांझी परगना महासम्मेलन में हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों से अपनी जमीन को खून बहाकर खाली कराया, अब बांग्लादेशी घुसपैठियों को भगाकर अपनी जमीन फिर से खाली कराएंगे। उन्होंने आदिवासी समाज की बेटियों और बहनों की सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि किसी को भी उनके साथ खिलवाड़ नहीं करने देंगे।
जाहेर थान और मांझी थान की रक्षा के लिए लड़ाई
चंपई सोरेन ने सम्मेलन के दौरान कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर, जैसे जाहेर थान और मांझी थान को भी बचाना है। अगर इसके लिए हमें एक और लड़ाई लड़नी पड़े, तो हम पीछे नहीं हटेंगे।उन्होंने संकल्पित स्वर में कहा। सोरेन ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ के चलते संताल परगना के कई गांवों में अब कोई आदिवासी नहीं बचा है।
आदिवासी समाज को जगाने की मुहिम
पूर्व मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य आदिवासियों को उनके अधिकारों और अस्तित्व पर हो रहे हमलों के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि हम गांव-गांव जाकर आदिवासियों को उनकी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए तैयार करेंगे।सोरेन ने स्पष्ट किया कि इस लड़ाई को आदिवासी समाज के परंपरागत कानून व्यवस्था के तहत लड़ा जाएगा।
आदिवासी जमीन की बिक्री पर सवाल
चंपई सोरेन ने एसपीटी एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि आदिवासियों की जमीन की बिक्री अवैध है। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण आदिवासी जमीनें हड़पी जा रही हैं। उन्होंने हुंकार भरते हुए कहा, “हम एक-एक जमीन वापस लेकर रहेंगे।” सोरेन ने सीतापहाड़ी, पत्थर घट्टा और नसीपुर जैसे गांवों का उल्लेख करते हुए बताया कि यह कभी आदिवासी गांव थे, लेकिन अब वहां एक भी आदिवासी नहीं बचा है।
चंपई सोरेन के इस बयान ने संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासी अधिकारों के मुद्दे को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।
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