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उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ : धनबाद के छठ घाटों में दिखी श्रद्धालुओं की भीड़

छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और इसका समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है। इस साल छठ पूजा का पर्व 5 नवंबर से शुरू हुआ और आज, 8 नवंबर 2024 को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। हिंदू धर्म में यह पर्व अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें व्रती महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं।

छठ के इस विशेष पर्व पर, व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले घाट पर पहुँचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इस दौरान छठी मैया और सूर्य भगवान की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन व्रतधारी महिलाएं पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं और अपने परिवार के कल्याण की कामना करती हैं।

बता दें कि धनबाद के छठ घाटों में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने को लेकर भीड़ लगी रही। झरिया विधानसभा अंतर्गत दामोदर नदी के लालबंगला, काली मेला, जहाजटांड, मोहलबनी, बरारी सहित अन्य घाटों में भगवान भास्कर के स्वागत के लिए सुबह से ही श्रद्धालु और छठ व्रती पानी में खड़े दिखे।

दिल्ली में सूर्य को अर्घ्य देने का समय

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर, दिल्ली में चंद्रोदय सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर हुआ। इस समय व्रती महिलाओं ने घाट पर एकत्रित होकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया और व्रत का पारण किया।

घाट पूजन के बाद व्रत का पारण

छठ महापर्व के अंतिम दिन, सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद घाट पूजन अवश्य किया जाता है। इसके बाद, छठ माता को चढ़ाया गया प्रसाद सभी लोगों में वितरित किया जाता है। मान्यता है कि प्रसाद को जितना अधिक बांटा जाता है, व्रत का शुभ परिणाम उतना ही अधिक मिलता है। इसके बाद व्रतधारी महिलाएं व्रत खोलने से पहले ठेकुआ और मिठाई जैसे प्रसाद का सेवन करती हैं। यह विशेष रूप से माना जाता है कि मसालेदार भोजन का सेवन व्रत खोलते समय नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है और व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता।

उगते सूर्य को अर्घ्य का महत्व

छठ महापर्व में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। सूर्य देव को जीवन का कारक माना जाता है; वे सौरमंडल के केंद्र में स्थित हैं और समस्त ग्रहों को ऊर्जा प्रदान करते हैं। छठ पूजा के दौरान उगते सूर्य को अर्घ्य देने से भक्तों को सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का संचार होता है। मान्यता है कि सूर्य देवता की उपासना से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संतान की लंबी आयु एवं स्वस्थ जीवन की कामना पूरी होती है।

छठ पूजा का यह पर्व श्रद्धा, आस्था और पवित्रता का प्रतीक है, जिसमें निष्ठापूर्वक की गई पूजा-अर्चना से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस पर्व के दौरान सूर्य भगवान की उपासना कर लोग अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने की कामना करते हैं।

KK Sagar
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