दामोदर नदी में ओबी डंप को लेकर कटघरे में BCCL, एक ओर सीओ ने दर्ज कराई प्राथमिकी तो दूसरी ओर विधायक सरयू हुए मुखर

Uday Kumar Pandey
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मिरर मीडिया : BCCL एवं आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा नदियों एवं रैयतो की जमीन पर ओ.बी. डंप किये जाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। हाल ही में सरयू राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दामोदर नदी की जमीन में ओ.बी. डंप किये जाने को लेकर मामला उठाया था और BCCL के आउटसोर्सिंग कंपनी को कठघरे में खड़ा करते हुए दामोदर नदी में ओबी डंप करने का आरोप लगाया था। सरयू राय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि नियम-कानून का उल्लंघन कर लाभ के लिए खनन किया जा रहा है। वहीं झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने दामोदर नदी में ओबी डंप किये जाने और वायु प्रदूषण की समस्या दूर करने का वैधानिक उपाय 31 दिसंबर तक नहीं किये जाने पर विधायक सरयू राय ने यह भी कहा कि वें अगले साल 2024 में हाईकोर्ट जाएंगे।

बता दें कि वर्ष 2011 में दामोदर समेत अन्य नदियों के प्रदूषण और नदी किनारे अतिक्रमण की घटनाओं का झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लिया था वहीं इस मामले में सरयू राय की हस्तक्षेप याचिका भी स्वीकार की थी। इस बाबत सरयू राय ने कहा कि याचिका WP(C)/1325/2011 अब भी सक्रिय है और हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है जिसे 1 दिसंबर 2023 को कोर्ट ने जनवरी 2024 के तीसरे सप्ताह में सुचिबद्ध करने का आदेश पारित है। सरयू राय ने इस मामले में जनवरी के पहले सप्ताह में नई सूचनाओं और प्रमाण के साथ हस्तक्षेप याचिका दायर करेंगे जिसमें आउटसोर्सिंग खदानों के कारण दामोदर में अतिक्रमण का जिक्र किया जाएगा।

वहीं दामोदर नदी में ओवर बर्डेन (ओबी) डंप नहीं करने संबंधी बीसीसीएल के बयान की सरयू राय ने आलोचना की है। आरोप के बाद बीसीसीएल प्रबंधन ने क्षेत्रों का जायजा लिया और कहा था कि दामोदर नदी में ओबी डंप नहीं किया जा रहा है।

बता दें कि विगत कुछ दिन पहले भी बलियापुर में रैयत की जमीन पर जबरन ओ.बी. डंप करने का मामला प्रकाश में आया था जहाँ बलियापुर अंचल अधिकारी ने BCCL और आउटसोर्सिंग कंपनी AT देवप्रभा पर प्राथमिकी दर्ज करवाई और कार्रवाई की मांग की है। CO ने लिखा था कि रैयतो की जमीन पर बिना लोगों के सहमती से ओबी डंप किया जा रहा है जो नियम विरुद्ध है और इसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है।

आपको बता दें कि नियमानुसार ओ.बी. डंप के लिए नदी से 350 फीट की दूरी होनी चाहिए जबकि वहां घेराबंदी भी होनी जरुरी है। इसी के साथ काफी मात्रा में प्लांटेशन भी होनी चाहिए।
पर इन सभी नियमों को दरकिनार करते हुए जिले में BCCL और इसके आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा लगातार ओ.बी. डंप किया जा रहा है।

वहीं देखा जाए तो इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच कार कार्रवाई की जानी चाहिए। जानकारी दे दें कि उपायुक्त ने भी इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जांच कमिटी बनाई है जबकि इस मामले में उपायुक्त ने सरयू राय से भी बात की है। वहीं उपायुक्त ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी अवगत कराया है और इस पर कार्रवाई की मांग करते हुए जुर्माना लगाने की बात कही है।

गौरतलब है कि इस तरह से ओ.बी. डंप किये जाने पर वातावरण प्रदूषित हो रहा है जिससे आसपास के स्थानीय व ग्रामीणों सहित मवेशियों, पेड़-पौधो पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है जबकि कृषि और जमीन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। अब आगे यह देखना होगा कि इस तरह ओबी डंप किये जाने पर होने वाले प्रदूषण पर किस तरह से लगाम लगाया जाता है और BCCL पर कार्रवाई की जाती है।

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मैं उदय कुमार पाण्डेय, मिरर मीडिया के न्यूज डेस्क पर कार्यरत हूँ।
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