डिजिटल डेस्क।मिरर मीडिया: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने सरकार को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के नाम का प्रस्ताव भेजा।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। हाल ही में सरकार ने निवर्तमान सीजेआई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उन्हें मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) के अनुसार अपने उत्तराधिकारी के लिए नामित करने को कहा था। सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
6 महीने के कार्यकाल के लिए होंगे सीजेआई
संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल 6 महीने का होगा, जो 11 नवंबर 2024 से शुरू होकर 13 मई 2025 तक चलेगा। उन्हें 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले वह दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुके हैं।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का व्यक्तिगत जीवन और शिक्षा
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ। उन्होंने नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और फिर दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। कानून की डिग्री उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के कैंपस लॉ सेंटर से प्राप्त की।
न्यायमूर्ति खन्ना के परिवार में न्याय की परंपरा रही है। उनके पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय से 1985 में सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी मां सरोज खन्ना दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज में हिंदी की प्रोफेसर थीं। संजीव खन्ना ने अपनी वकालत की शुरुआत दिल्ली के तीस हजारी अदालत परिसर में की थी और 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट में उल्लेखनीय योगदान
न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने चार साल के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में 358 पीठों का हिस्सा बने और 90 से अधिक मामलों में निर्णय दिए। वह 2023 में शिल्पा शैलेश के मामले में संविधान पीठ का फैसला सुनाने वाले न्यायाधीशों में शामिल थे। इसके अलावा, वह 2022 में एससी और एसटी वर्ग के लिए प्रमोशन में आरक्षण पर सुनवाई करने वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ का भी हिस्सा थे।
उनके चाचा हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रह चुके हैं, जिन्होंने आपातकाल के दौरान ऐतिहासिक फैसले दिए थे।
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