भारतीय न्यायपालिका सोमवार, 24 नवंबर 2025 को एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनेगी, जब न्यायमूर्ति सूर्य कांत देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। इस समारोह को ऐतिहासिक बनाने वाला सबसे बड़ा पहलू यह है कि छह देशों के सर्वोच्च न्यायाधीश और वरिष्ठ न्यायाधीश पहली बार भारत में किसी मुख्य न्यायाधीश के शपथ-ग्रहण के दौरान मौजूद रहेंगे। न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ।
शपथ-ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित होगा, जहाँ विदेशी देशों से आए न्यायिक प्रतिनिधियों के अलावा सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश तथा केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहेंगे। यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती न्यायिक साख और वैश्विक न्यायिक प्रणाली के साथ बढ़ते सहयोग का प्रतीक माना जा रहा है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का न्यायिक करियर उल्लेखनीय रहा है। वे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट में कई महत्त्वपूर्ण संवैधानिक मामलों की पीठ का हिस्सा रहे हैं। उनके शपथ-ग्रहण में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीशों की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि भारत न्यायिक संवाद, वैश्विक सहयोग और विधिक संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने की दिशा में अग्रसर है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस समारोह के बाद आने वाले समय में न्यायपालिका-सरकार के तंत्र में न्याय तक आसान पहुँच, न्यायिक सुधारों की गति, तकनीकी आधुनिकीकरण और वैश्विक स्तर पर कानूनी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इसका वास्तविक प्रभाव तभी दिखाई देगा जब संरचनात्मक बदलावों के साथ न्याय वितरण की जमीनी प्रक्रिया में सुधार और मामलों के समयबद्ध निपटारे को सुदृढ़ किया जा सके।

