जमुई। बरहट थाना क्षेत्र के कद्दुआ तरी गांव में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। भाकपा माले के जिला सचिव शम्भू शरण सिंह, युवा नेता बाबू साहब सिंह, आदिवासी संघर्ष मोर्चा के जिला संयोजक कालू मरांडी, बासुदेव रॉय, मोहम्द हैदर और किरण गुप्ता के नेतृत्व में छह सदस्यीय जांच दल ने रविवार को गांव का दौरा कर घटना की जानकारी ली।
ग्रामीणों से की बातचीत
जांच दल ने दर्जनों ग्रामीण महिला-पुरुषों से मुलाकात कर उनकी आपबीती सुनी। ग्रामीण रोहित सोरेन ने बताया कि 4 सितंबर को पूरा गांव कर्मा पूजा की तैयारी में व्यस्त था। लगभग हर घर में शादीशुदा बेटियां और दामाद भी पूजा में शामिल होने पहुंचे थे। इसी दौरान दिन में करीब 2 बजे बरहट थाना पुलिस और डायल-112 की टीम गांव पहुंची और शराब की तलाश में कई घरों में दबिश दी।
“न मिली शराब, न सामग्री”
रोहित सोरेन ने कहा कि पुलिस ने उनके और नरेश टुडू के घर में घुसकर शराब खोजी, लेकिन कुछ भी बरामद नहीं हुआ। उन्होंने बताया, “कर्मा पूजा में हम लोग घर की सफाई करते हैं। हम लोग शराब बनाते भी नहीं हैं, फिर भी पुलिस बार-बार घर में घुसती है।”
“पुलिस ने छीना मोबाइल और रुपये”
ग्रामीण आरती हेम्ब्रम ने आरोप लगाया कि एक महीने पूर्व भी पुलिस शराब के बहाने घर में घुसी और छापेमारी की। उस दौरान घर में रखे चार हजार रुपये और रोहित सोरेन का मोबाइल फोन पुलिस अपने साथ ले गई।
माले नेताओं का कड़ा बयान
भाकपा माले के जिला सचिव शम्भू शरण सिंह ने कहा कि कद्दुआ तरी गांव में पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई घटना बेहद निंदनीय है। उन्होंने कहा, “पुलिस को जहां जनता के बीच पब्लिक फ्रेंडली होना चाहिए, वहीं कुछ पुलिसकर्मी वर्दी का दुरुपयोग कर गरीब, दलित और आदिवासी परिवारों को डराते-धमकाते हैं। बिना किसी ठोस सबूत के उनके घरों में घुसकर पैसे, गहने और मोबाइल ले लेना वर्दी के आड़ में डकैती है। माले इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।”
कल्लू मरांडी और युवा नेता बाबू साहब सिंह ने भी आरोप लगाया कि बरहट पुलिस स्थानीय चौकीदारों के जरिए शराब माफियाओं से मिलीभगत करती है और मोटी रकम लेकर उन्हें संरक्षण देती है। जबकि गरीब और आदिवासी परिवारों को झूठे मामलों में फंसाकर दहशत फैलाया जाता है।
13 लोगों की गिरफ्तारी पर सवाल
माले नेताओं ने बताया कि पुलिस ने इस घटना के दौरान 13 ग्रामीणों को गिरफ्तार किया, जबकि उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह झूठा और मनगढ़ंत केस है, जिससे निर्दोष ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है।
जांच और कार्रवाई की मांग
भाकपा माले ने जिला प्रशासन से मांग की है कि कद्दुआ तरी गांव की घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई हो और निर्दोष ग्रामीणों पर से मुकदमा वापस लिया जाए।