नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व अपने अंतिम चरण में है, और अब केवल दो दिन शेष बचे हैं, जिन्हें सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन, यानी अष्टमी और नवमी, विशेष महत्व रखते हैं। इन दोनों तिथियों पर कन्या पूजन और अनुष्ठान कराए जाते हैं। खासतौर पर अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है, जिनकी आराधना से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।
अष्टमी तिथि को लेकर असमंजस
इस वर्ष, अष्टमी तिथि को लेकर लोगों में काफी असमंजस है। कुछ लोग अष्टमी 10 अक्टूबर को मना रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर को है। यह संशय तिथि की गणना और ज्योतिषीय आधार पर उत्पन्न हुआ है।
ज्योतिषीय गणना: कब है अष्टमी?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे होगी और इसका समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे पर होगा। इस प्रकार, उदया तिथि (सुबह की तिथि) के अनुसार अष्टमी 11 अक्टूबर को मनाना अधिक शुभ माना जा रहा है। इस दिन नवमी तिथि भी आरंभ हो जाएगी, जिससे कई भक्त एक ही दिन में अष्टमी और नवमी दोनों पूजन करेंगे।
अष्टमी की पूजा विधि: मां महागौरी की आराधना
अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, महागौरी देवी को श्वेत वृषभ (सफेद बैल) पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और पवित्रता की प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा करने से साधक के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन में शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
मां महागौरी की पूजा में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग होता है:
सफेद वस्त्र
सफेद फूल
दुग्ध से बने प्रसाद
कुमकुम, चंदन और अक्षत
पूजन के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए:
मंत्र:
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। नौ कन्याओं को देवी के रूप में पूजकर भोजन कराया जाता है और उन्हें वस्त्र तथा उपहार दिए जाते हैं। इससे देवी मां की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
नवमी का महत्व
11 अक्टूबर को ही नवमी तिथि भी है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो सभी सिद्धियों और वरदानों को प्रदान करने वाली देवी हैं। नवमी तिथि को नवरात्रि का अंतिम दिन माना जाता है, और इसी दिन हवन और समापन पूजा का आयोजन होता है।
तो इस साल, 11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी की पूजा विधिपूर्वक कर मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सुख-समृद्धि से परिपूर्ण बनाएं।