देश: 2024 के लोकसभा चुनाव में महज कुछ महीनों का वक्त बचा है । ऐसे भी सभी पार्टियों ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने घोषणापत्र समिति का गठन किया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव को संयोजक नियुक्त किया गया है। इस सूची में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, शशि थरूर और प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हैं।
मालूम हो कि इससे पहले, 21 दिसंबर को कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से आगामी लोकसभा चुनाव एक पार्टी के रूप में और इंडिया समूह के सदस्य के रूप में लड़ने का प्रस्ताव अपनाया है। प्रस्ताव में कहा गया कि सीडब्ल्यूसी हमारे महान संगठन के सभी सदस्यों से आशा और विश्वास के साथ एकजुट होने और चुनाव अभियान में समर्पण और अनुशासन के साथ खुद को समर्पित करने का आह्वान करती है।
इस बैठक में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का मुद्दा भी उठा। इसमें कहा गया कि भाजपा इसे लोकसभा चुनाव में भुनाने का प्रयास करेगी, ऐसे में हमें भी अपनी पूरी तैयारी रखनी होगी। कार्यसमिति की इस बैठक में खरगे और राहुल के अलावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुल 76 सदस्य मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान मध्य प्रदेश की हार की समीक्षा के दौरान प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने बूथ और ब्लॉक स्तर पर संगठन की कमजोरी की बात कही तो राहुल गांधी ने इससे असहमति जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं है, क्योंकि यहां हम पिछली बार चुनाव जीते थे। छोटी पार्टियों को साथ नहीं लेने की कमलनाथ की चूक की ओर इशारा करते हुए राहुल ने कहा कि जो वोट हमें मिल सकता था, वो भारतीय ट्राइबल पार्टी, बसपा आदि जैसे दलों को चले गए, जिसका हमें नुकसान हुआ।
वहीं राजस्थान की हार की समीक्षा के दौरान अधिकांश सदस्यों का मानना था कि बड़ी संख्या में विधायकों का टिकट नहीं काटने की चुनाव में कीमत चुकानी पड़ी। जाहिर तौर पर इसको लेकर अशोक गहलोत अपने समर्थक विधायकों को टिकट दिलाने के लिए जोर लगाने के लिए सवालों के निशाने पर रहे।