Bihar: बिहार महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर ठनी, बंटवारे में 2020 का फॉर्मूला चाह रही कांग्रेस, फिर कहां फंसा पेंच

Neelam
By Neelam
3 Min Read

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल दलों के बीच अभी तक सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई है। चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर जारी चर्चा के बीच कांग्रेस 2020 के विधानसभा चुनाव के फॉर्मूले पर ही सहमति जताई है। हालांकि, यह कहकर पेच फंसा दिया है कि ‘गुड’ और ‘बैड’ सीटों में संतुलन होना चाहिए। 

बिहार में हाल ही में संपन्न राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद बिहार में इंडिया ब्लॉक के सभी कार्यकर्ता उत्साहित हैं। कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी की यात्रा ने पूरे बिहार में इंडिया ब्लॉक को मजबूत किया है। वोट अधिकार यात्रा की सफलता से उत्साहित कांग्रेस पार्टी राजद के साथ कड़ा मोलभाव करती दिख रही है। उसने कहा है कि वह इस बार भी 2020 के सीट बंटवारे को फॉर्मूले पर सहमत है लेकिन गुड और बैड सीटों के बीच संतुलन होना चाहिए।

बिहार में कांग्रेस के लिए ‘गुड’ सीटें

दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान बिहार के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा कि प्रत्येक राज्य में ‘गुड’ और ‘बैड’ सीटें होती हैं, और ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक पार्टी को सभी अच्छी सीटें मिल जाएं और दूसरी को सभी ‘बैड’ सीटें। सीट बंटवारे में ‘गुड’ और ‘बैड’ सीटों के बीच संतुलन होना चाहिए। बिहार में कांग्रेस के लिए ‘गुड’ सीटें वे हैं, जिन पर पिछले विधानसभा चुनाव में या तो उसने जीत दर्ज की या 5 हजार से कम वोटों से उसे हार मिली।

बिहार में कांग्रेस की ‘बैड’ सीटें

दरअसल, कांग्रेस पार्टी पिछली बार हारी 51 सीटों में से 37 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार नहीं है। इन 37 में से 21 तो वैसी सीटें हैं, जिन पर 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस समेत महागठबंधन के उम्मीदवार जीत नहीं पाए थे। वहीं 15 सीटें ऐसी हैं जिन पर साल 2015 में महागठबंधन के साथ लड़कर जदयू ने जीत दर्ज की थी। 2020 में ये सीटें कांग्रेस के खाते में गई और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इन सीटों में फुलपरास, सुपौल, बिहारीगंज, सोनबरसा, कुशेश्वर स्थान, बेनीपुर, कुचायकोट, वैशाली, बेलदौर, हरनौत, सुलतानगंज, अमरपुर, राजगीर, नालंदा और टिकारी शामिल है।

Share This Article