Bihar:महागठबंधन में सीट बंटवारे से पहले दिल्ली में कांग्रेस का ‘मंथन’, बिहार के नेताओं से मुलाकात

Neelam
By Neelam
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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन में सीट बंटवारे से पहले दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कन्हैया कुमार, सांसद पप्पू यादव समेत कई वरिष्ठ नेता बैठक में शामिल हुए।

सीट बंटवारे की रणनीति तय

पार्टी सूत्रों के अनुसार, बैठक में सीट बंटवारे और आगे की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। इसके साथ ही राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा की समीक्षा की गई। कांग्रेस ने बिहार में अपनी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से मिले मोमेंटम को भुनाने का फैसला किया है। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि यात्रा से पार्टी का जो ग्राफ बढ़ा है और कार्यकर्ताओं में जो उत्साह है। उसे बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। इसी वजह से राहुल गांधी और अन्य बड़े नेताओं के लगातार दौरे का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि महागठबंधन में भी कांग्रेस की स्थिति मबूत होगी।

‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद आसान होगा मोलभाव?

बता दें कि बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ राहुल गांधी की अगुवाई में 17 अगस्त से 1 सितंबर तक चली वोटर अधिकार यात्रा के बाद कांग्रेस का जोश हाई है। इस यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे लेकिन सारा क्रेडिट कांग्रेस और राहुल गांधी ले गए। इसके बाद कांग्रेस को उम्मीद जगी कि इस माहौल में वो ज़्यादा सीटों के लिए मोलभाव कर पाएगी। सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच अभी सहमति नहीं बनी है। तय समय सीमा के तहत 15 सितंबर तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग का ऐलान होना है।

कांग्रेस-राजद कोटे से सहयोगी दलों को हिस्सेदारी

महागठबंधन में इस बार राजद, कांग्रेस और वाम दलों के अलावा मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और रालोजपा को भी शामिल किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इन दलों को कांग्रेस और राजद के कोटे से ही हिस्सेदारी मिलेगी। इंडिया गठबंधन के एक सूत्र ने दावा किया कि ज्यादातर सीटों पर सहमति बन गई है। आरजेडी और कांग्रेस के अलावा बचे हुए दलों के लिए अलग से सीटों का पूल बनाया जा रहा है। सीटों के साथ संभावित उम्मीदवारों के जातीय समीकरण को भी ध्यान में रखा जा रहा है। कई सीटों पर अदला–बदली भी की जाएगी।

कांग्रेस के खाते में आएंगी 50 सीटें? 

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के चुनाव में आरजेडी ने पिछली बार 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार भी आरजेडी करीब 140 सीटों पर खुद लड़ना चाहती है। सीपीआई एमएलए पिछली बार की 19 सीटों से बढ़ कर कम से कम 30 सीटें चाहती है। सीपीआई और सीपीएम को पिछली बार मिलाकर 10 सीटें मिली थीं। इस बार की नई सहयोगी वीआईपी को 25 से 30 सीटें चाहिए। जेएमएम और पशुपति पारस की पार्टी को करीब 5 सीटों में एडजस्ट किया जाएगा। ऐसे में कांग्रेस के खाते में करीब 50 सीटें ही आती दिख रही है।

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