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26 साल पहले फर्जी एनकाउंटर मामले में थाना प्रभारी से प्रमोट हुए DSP को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

पूर्णिया, बिहार: बिहार के पूर्णिया जिले में एक भयानक फर्जी एनकाउंटर मामले में न्यायालय ने तत्कालीन बड़हरा थानाप्रभारी मुखलाल पासवान को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला लगभग 26 साल पुराना है और इसकी गहराई में पुलिस द्वारा की गई एक हत्या को एनकाउंटर बताने का प्रयास शामिल है।

क्या है मामला?

यह मामला वर्ष 1998 का है, जब पुलिस ने एक अपराधी की तलाश में बिहारीगंज थाने के फिद्दी की बस्ती गांव में घेराबंदी की थी। पुलिस ने इस दौरान संतोष कुमार सिंह को गोली मारकर हत्या कर दी। इस हत्या को एनकाउंटर के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई, जिससे मामला और गंभीर हो गया।

अदालत ने 26 साल के बाद सुनाया फैसला

पटना स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने मंगलवार को इस मामले में फैसला सुनाया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नवम सह विशेष न्यायाधीश अविनाश कुमार ने मुखलाल पासवान को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 193 (झूठी गवाही) और 182 (झूठी सूचना) के तहत दोषी पाया। इसके साथ ही, अदालत ने उन्हें 3,01,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यदि वे जुर्माना नहीं अदा करते हैं, तो उन्हें डेढ़ साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

दरोगा से प्रमोशन के बाद बने DSP जिसके बाद मिली सजा

मुखलाल पासवान को इस साल प्रमोशन मिलकर डीएसपी बनाया गया था। यह उनके करियर के लिए एक गंभीर झटका है, जिसने पुलिस विभाग में उनके कामकाज पर सवाल उठाया है।

अन्य आरोपीयों को भी सजा

इस मामले में बिहारीगंज थाने के पूर्व दारोगा अरविंद कुमार झा को भी अदालत ने दोषी पाया। उन्हें IPC की धारा 193 के तहत पांच वर्षों के सश्रम कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। यदि वह जुर्माना नहीं देते, तो उन्हें छह महीने की अतिरिक्त सजा का सामना करना पड़ेगा।

45 गवाहों के बयान अदालत में दर्ज

इस मामले की शुरुआत में जांच स्थानीय पुलिस द्वारा की गई थी, लेकिन बाद में इसे सीआईडी को सौंपा गया। अंततः सीबीआई ने इस मामले की जांच की, जिसमें 45 गवाहों के बयान अदालत में दर्ज किए गए। सीबीआई के लोक अभियोजक अमरेश कुमार तिवारी ने बताया कि इस मामले ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं और न्याय की एक नई मिसाल स्थापित की है।

KK Sagar
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