2019 के CAA विरोधी प्रदर्शन मामले में शरजील इमाम समेत 11 के खिलाफ आरोप तय, कोर्ट ने बताया ‘विषैला भाषण’

0
47

शरजील इमाम पर गंभीर टिप्पणियां

CAA (नागरिकता संशोधन कानून) 2019 के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान कथित हिंसा से जुड़े एक मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने में शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा समेत 11 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने इमाम को हिंसा भड़काने की बड़ी साजिश का “सरगना” बताते हुए कहा कि उनका भाषण “विषैला” था और इससे समाज में घृणा फैली।

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने चक्का जाम को बताया हिंसक कृत्य

CAA विरोध प्रदर्शन पर शरजिल इमाम को लेकर दिल्ली साकेत कोर्ट की टिप्पणी
CAA विरोध प्रदर्शन पर शरजिल इमाम को लेकर दिल्ली साकेत कोर्ट की टिप्पणी

दिल्ली की साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज विशाल सिंह ने कहा कि शरजील इमाम न केवल लोगों को उकसाने वाले थे, बल्कि उन्होंने इस हिंसा की साजिश भी रची थी। उन्होंने अपने भाषण में मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य समुदायों का उल्लेख करने से बचते हुए “चालाकी” दिखाई, लेकिन उनके भड़काऊ शब्दों का असर पूरे समाज पर पड़ा।

41 वाहनों को नुकसान, पुलिस पर पथराव

अदालत ने चक्का जाम को गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि इसमें कुछ भी शांतिपूर्ण नहीं था। यह एक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय के खिलाफ हिंसक कार्रवाई थी, जिससे समाज के सामान्य कामकाज में बाधा आई। कोर्ट ने कहा कि भले ही भीड़ ने आगजनी न की हो, लेकिन यह समाज में भय और अशांति फैलाने का एक तरीका था।

इनके खिलाफ आरोप तय हुए

दिल्ली के जामिया नगर इलाके में हुए इस प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी वाहनों सहित करीब 41 वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया और पुलिस पर पथराव किया गया। इस संबंध में NFC थाने में FIR 242/2019 दर्ज की गई थी।

शरजील इमाम और आसिफ इकबाल तन्हा के अलावा अदालत ने आशु खान, चंदन कुमार, अनल हुसैन, अनवर, यूनुस, जुम्मन, राणा, मोहम्मद हारुन और मोहम्मद फुरकान के खिलाफ भी आरोप तय किए हैं।

इन 14 लोगों को किया बरी

हालांकि, अदालत ने मोहम्मद आदिल, रूहुल अमीन, मोहम्मद जमाल, मोहम्मद उमर, मोहम्मद शाहिल, मुदस्सिर फहीम हास्मी, मोहम्मद इमरान अहमद, साकिब खान, तंजील अहमद चौधरी, मोहम्मद इमरान, मुनीब मियां, सैफ सिद्दीकी, शाहनवाज और मोहम्मद यूसुफ को बरी कर दिया।

यह फैसला CAA विरोधी प्रदर्शनों से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम है, जिसमें अदालत ने हिंसा भड़काने और समाज में अशांति फैलाने के प्रयासों पर कड़ी टिप्पणी की है।