नई दिल्ली। देश को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार जस्टिस (सेवानिवृत्त) बी. सुदर्शन रेड्डी को बड़े अंतर से हराकर जीत हासिल की। राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी ने बताया कि राधाकृष्णन को 452 प्रथम वरीयता मत प्राप्त हुए, जबकि रेड्डी को केवल 300 वोट ही मिल सके। इस तरह 152 वोटों के अंतर से राधाकृष्णन की जीत तय हो गई।
एनडीए का पलड़ा भारी
राधाकृष्णन के नामांकन के बाद से ही राजनीतिक हलकों में यह अनुमान लगाया जा रहा था कि एनडीए उम्मीदवार भारी पड़ेंगे। चुनावी नतीजों ने इसे साबित कर दिया। जीत के साथ ही राधाकृष्णन अब राज्यसभा के सभापति पद की जिम्मेदारी भी संभालेंगे।
विपक्ष ने स्वीकार किया परिणाम
हार के बाद विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करते हुए कहा, “हमारे महान गणराज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अटूट विश्वास के साथ मैं विनम्रतापूर्वक परिणाम स्वीकार करता हूं। हालांकि परिणाम मेरे पक्ष में नहीं है, लेकिन वैचारिक संघर्ष और भी जोरदार तरीके से जारी रहेगा।”
विपक्ष का दावा और क्रॉस वोटिंग
INDIA गठबंधन ने चुनाव से पहले दावा किया था कि उनके उम्मीदवार को 315 वोट मिलेंगे। लेकिन नतीजों में उन्हें 300 वोट ही मिले। इसका मतलब है कि लगभग 14–15 विपक्षी सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है। यह विपक्ष के भीतर मतभेद की ओर इशारा करता है।
जयराम रमेश का बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने हालांकि इस हार को विपक्ष की पराजय नहीं माना। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “इस चुनाव में विपक्ष पूरी तरह एकजुट रहा और उसका प्रदर्शन सम्मानजनक रहा। हमारे उम्मीदवार को लगभग 40% वोट मिले हैं, जबकि 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में यह आंकड़ा महज 26% था। यह साफ दिखाता है कि विपक्ष का आधार मजबूत हो रहा है।”
एनडीए खेमे में जश्न
नतीजों के बाद बीजेपी खेमे में जश्न का माहौल है। मंगलवार रात करीब 9.30 बजे केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के आवास पर बीजेपी सांसदों की बैठक होगी, जहां नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का स्वागत किया जाएगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे और उन्हें बधाई देंगे।
राजनीतिक महत्व
राधाकृष्णन की जीत न केवल एनडीए के लिए एक राजनीतिक सफलता है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि संसद में उनकी पकड़ और मजबूत होगी। विपक्ष भले ही इसे ‘नैतिक जीत’ बता रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष ने इस चुनाव के जरिए अपनी ताकत और एकजुटता का प्रदर्शन किया है।

