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जन्माष्टमी का पावन त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। बता दें कि श्रीकृष्ण के 5251वें जन्मोत्सव पर लाखों श्रद्धालु सोमवार को उनके जन्मस्थान पहुंचे। रात 12 बजे कान्हा के जन्म के साथ ब्रज में जयकारे गूंज उठे। दुग्धाभिषेक और शयन आरती के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
आज दही हांडी पर्व का आयोजन
वहीं आज भारत के विभिन्न जगहों पर दही हांडी पर्व का आयोजन किया गया है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओ की तरह माखन की हांडी को फोडा जाएगा। महाराष्ट्र, कर्नाटक और कुछ अन्य भारतीय राज्यों में बहुत ही ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की याद में मनाया जाता है, खासकर उनकी एक प्रसिद्ध लीला ‘माखन चोर’ के रूप में यह पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन मनाया जाता है।
दही हांडी फोड़ने की परंपरा की पौराणिक कथाएं
गौरतलब है कि दही हांडी फोड़ने की परंपरा की शुरुआत के बारे में बहुत सी पौराणिक कथाएं हैं। माना जाता है भगवान कृष्ण जब बच्चे थे, तब इंद्र देवता की वर्षा से लोगों की रक्षा करने के लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। इससे भीषण वर्षा से सभी नगरवासियों की रक्षा हुई थी।इस घटना के बाद, गोपियों ने कृष्ण की प्रशंसा में दही हांडी लगाई और युवाओं को उसे फोड़ने के लिए चुनौती दी। माना जाता है उसके बाद से ही धीरे-धीरे यह परंपरा पूरे क्षेत्र में फैल गई और उस खास दिन को दही हांडी पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।