12 अक्टूबर 2024 को पूरे देश में शारदीय दुर्गापूजा की दशमी, विजयादशमी और दशहरा का पर्व उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर रावण दहन, देवी विसर्जन और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। लाखों श्रद्धालु इस शुभ दिन को देखने और भाग लेने के लिए एकत्र हुए, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का संगम देखने को मिला। हालांकि कई जगह आज शनिवार को माँ की विदाई यानी विसर्जन नहीं दी जाएगी जबकि कई जगह आज ही विसर्जन कर दिया जाएगा।
विजयादशमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
दशमी तिथि, जिसे विजयादशमी या दशहरा के रूप में जाना जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह दिन दो महान घटनाओं से जुड़ा हुआ है – एक ओर भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध की याद में रावण दहन का आयोजन होता है, तो दूसरी ओर माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर राक्षस के संहार की विजय कथा भी इस दिन से जुड़ी हुई है। इस दिन को शक्ति पूजा, सत्य की विजय और धर्म के पुनरुत्थान के रूप में देखा जाता है।
विदाई के साथ सिंदूर खेला और दुर्गापूजा का भव्य समापन
माँ की विदाई को लेकर पूजा पंडालो में एकत्र होकर माँ के विदाई दर्शन के लिए हजारों की संख्या में महिलाएं एकत्र होती है और इस दौरान सिंदूर खेला करती है। इस दौरान महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर माँ दुर्गा से सुख-समृद्धि की कामना करती है।
उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया गया दशहरा
उत्तर भारत के विभिन्न शहरों में दशहरा का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। वाराणसी, लखनऊ, दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में भव्य रावण दहन का आयोजन किया गया। रामलीला के मंचन के बाद, हजारों लोग रावण के विशाल पुतलों को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक् में जलाएंगे। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
देश के अन्य हिस्सों में भी उल्लास
दक्षिण भारत में भी विजयादशमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मैसूर में दशहरा उत्सव बेहद प्रसिद्ध है, जहां राजसी परंपराओं के अनुसार हाथियों के भव्य जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। महाराष्ट्र में भी लोगों ने देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना के बाद रावण दहन किया और एक-दूसरे को शस्त्र पूजन के बाद बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक स्वरूप विजयादशमी की बधाई दी।
त्योहार के दौरान सुरक्षा व्यवस्था
इस भव्य आयोजन के दौरान देशभर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पुलिस की तैनाती बढ़ाई गई और विशेष यातायात व्यवस्थाएं लागू की गईं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। विसर्जन के दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मुस्तैदी से तैनात रहे।
सांस्कृतिक और पारंपरिक कार्यक्रमों की झलक
विजयादशमी के अवसर पर देशभर में रामलीला का मंचन, झांकियों, और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस दिन जगह-जगह बच्चों और युवाओं ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया। पंडालों में देवी दुर्गा की मूर्तियों के साथ रंग-बिरंगी रोशनी, पारंपरिक संगीत और लोक नृत्य ने माहौल को और जीवंत बना दिया।
आस्था और उल्लास का संगम
दशमी का यह पर्व केवल धार्मिक न होकर सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों को एकजुट करता है और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है।