डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: देश गुरुवार को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहा है। इस अवसर पर नेताजी की बेटी अनीता बोस फाफ ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि उनके पिता के पार्थिव अवशेषों को जापान के टोक्यो स्थित रेंकोजी मंदिर से भारत लाया जाए। अनीता बोस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दशकों तक भारतीय सरकारें उनके पार्थिव अवशेषों को वापस लाने के मामले पर झिझकती रहीं या इनकार करती रहीं। नेताजी की अस्थियां पिछले आठ दशकों से जापान के रेंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं।
नेताजी की मृत्यु पर दस्तावेजों और इतिहास का जिक्र
2016 में मोदी सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों के अनुसार, पूर्ववर्ती सरकारों का मानना था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु अगस्त 1945 में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। हालांकि, सार्वजनिक प्रतिक्रिया के डर से इस तथ्य को कभी सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने नेताजी को मरणोपरांत भारत रत्न देने का निर्णय लिया था। लेकिन देशभर में विरोध की आशंका के कारण यह निर्णय वापस लेना पड़ा। भारत रत्न न देने के पीछे यह कारण बताया गया कि अगर यह सम्मान दिया गया तो इससे नेताजी की मृत्यु की पुष्टि मानी जाएगी।
बेटी अनीता बोस फाफ की भावनात्मक अपील
नेताजी की बेटी अनीता बोस फाफ ने कहा कि दशकों तक अधिकांश भारतीय सरकारें उनके पार्थिव शरीर को वापस लाने में हिचकिचाती रहीं। उन्होंने कहा, “एक समय ऐसा था जब रेंकोजी मंदिर के पुजारी और जापानी सरकार नेताजी की अस्थियां उनकी मातृभूमि में वापस लाने के लिए तैयार और इच्छुक थे। हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि ताइपेई में विमान दुर्घटना में उनके निधन की पुष्टि हो चुकी है।”
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने उन्हें साहस और धैर्य का प्रतीक बताया और कहा कि नेताजी का जीवन देशवासियों के लिए प्रेरणा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नेताजी के प्रसिद्ध नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” को याद किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह नारा देश के लिए मंत्र बन गया था और आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।